ज़माने की ग़ज़ल कहना..

0 0
Read Time1 Minute, 37 Second

rakesh dube
नज़र में हो कोई मुश्क़िल ज़माने की ग़ज़ल कहना,
बहुत घबरा रहा हो दिल ज़माने की ग़ज़ल कहना।
———————
हमारी भूख के किस्से तुम्हारे इश्तिहारों में,
तुम्हें लगने लगें बोझिल ज़माने की ग़ज़ल कहना।
———————
नज़र में दूर तक केवल समुंदर ही समुंदर हो,
दिखाई दे नहीं साहिल ज़माने की ग़ज़ल कहना।
——————-
सभी के हाथ में पत्थर, निशाने पर तुम्हारा सर,
कभी हो जाए जो चोटिल ज़माने की ग़ज़ल कहना।
———————
कभी रहने नहीं देगा ज़माना चैन से तुमको,
लगे जब ज़िंदगी क़ातिल ज़माने की ग़ज़ल कहना।
———————
हरे होने लगें जब जब जिगर के ज़ख़्म दुनिया में,
हो सबके दर्द में शामिल ज़माने की ग़ज़ल कहना।
———————
किसे फुर्सत कि वो देखे किसी के पाँव के छाले,
बसाकर आँख में मंज़िल ज़माने की ग़ज़ल कहना।
——————–
फ़साने कह चुके हो सैकड़ों रुख़्सार के तिल के,
सजे अब जब कभी महफ़िल ज़माने की ग़ज़ल कहना।
———————
तुम्हें सुनता न हो कोई समझता भी न हो कोई,
ज़माना ख़ुद में हो ग़ाफ़िल ज़माने की ग़ज़ल कहना।
———————
मुकद्दर के भरोसे कुछ नहीं मिलता यहाँ ‘गुलशन’,
अगर करना हो कुछ हासिल ज़माने की ग़ज़ल कहना

#राकेश दुबे ‘गुलशन’

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

फेसबुकिया मॉम

Thu Apr 27 , 2017
अगस्त माह का पहला रविवार हैl सुबह-सुबह का झुटपुटा हैl  अभी वृक्ष सोए पड़े हैंl  डालियाँ पंछियों की चहचहाहट सुनने के लिए आतुर हैं,लेकिन कहीं कोई आवाज़ नहीं,केवल एक आवाज़ को छोड़कर बादलों की गर्जन-तर्जन कभी तेज-कभी धीमी,कभी बिजली कड़कने की ज़ोर की आवाज़ हैl शायद बारिश होने वाली हैl […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।