कभी छत से, गुजरो तुम गर्म क्लांत हवाओं पहर दोपहर ठहरना तुम शीतल होना देना शीतलता इतनी-सी उम्मीद, इत्मीनान रखता हूँ। प्रकृति तेरी पूजा में, अभ्यर्थना में हाथ जोड़े सर झुकाए सम्मान रखता हूँ। भारत माँ का, हिमालयo-सा मस्तक ऊँचा रहे.. ये स्वाभिमान रखता हूँ। सेवक हूँ माँ का, इतना […]

  फूंऊं.ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ… ऽ…यह शंख की  आवाज़ थी-न सिर्फ मंदिर से डूंगा के कान तक,बल्कि गांव के कोने-कुचाले तक पसरी और लंबी। गंधहीन और अदृश्य। ध्वनि भी क्या! बस,शंख के पिछवाडे़ में फूंकी एक लंबी फूंक,जो शंख के मुंह से ऊंचा स्वर लिए,तेजी से बाहर निकली […]

जल हमें प्रकृति से विरासत में मिला एक अमूल्य संसाधन है। यह पृथ्वी पर पाए जाने वाले समस्त प्राणियों तथा पादपों के जीवन का मुख्य आधार है,इसीलिए जल को जीवन कहा गया है। जहॉं जीवन है वहॉं जल तथा वायु की आवश्यकता को कदापि नकारा नहीं जा सकता है। पेड़-पौधे,जीव-जन्तु […]

आँखों में इंतज़ार छुपाए बैठे हैं, दीदार की ख्वाहिश छुपाए बैठे हैं..। यादों के लम्हें संजोकर, इश्क-ए-इज़हार छुपाए बैठे हैं..। जिक्र में फिक्र शामिल, दिल-ए-बेकरार छुपाए बैठे हैं..। खामोशी के लबों से अपने, वफा-ए-इकरार छुपाए बैठे हैं..। इश्क की राहों से गुज़र, बेवजह तकरार छुपाए बैठे हैं..। नसीबों का खेल […]

जब भी रहूँ दुख में तब, मैं इसको गले लगाता हूँ.. खुश होता हूँ जब भी मैं, इसे होंठों से लगाता हूँ। यही प्रतिपल है मेरे आलिंगन की अधिकारी, मेरी कलम ही है असल में,मेरी प्रेमिका प्यारी। शब्द अनेक हैं अंदर मेरे, मोतियों से बिखरे पड़े.. माला बनाकर,मेरी कलम उन्हें […]

शिव बोलेः ‘हे पद्ममुखी! मैं कहता नाम एक सौ आठ। दुर्गा देवी हों प्रसन्न नित सुनकर जिनका सुमधुर पाठ।१।     ओम सती साध्वी भवप्रीता भवमोचनी भवानी धन्य।  आर्या दुर्गा विजया आद्या शूलवती तीनाक्ष अनन्य।२।   पिनाकिनी चित्रा चंद्रघंटा, महातपा शुभरूपा आप्त। अहं बुद्धि मन चित्त चेतना,चिता चिन्मया दर्शन प्राप्त।३। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।