माँ को दुःख देकर पागल बन्दे तू क्या सुख पाएगा, माँ ने जितने दुःख सहे तू क्या उतने दुःख सह पाएगा। क्यूँ भूल गया माँ को,अंगुली पकड़ चलना सिखाया, गीले में खुद सोई और सूखे में तुझे सुलाया, वो बचपन न फिर कभी दुबारा आएगा, माँ को दुःख देकर पागल […]

ये क्या ? आप अभी तक न्यूज़ पेपर लेकर बैठे हैं, चलिए उठिए मार्केट जाइए और जो लिस्ट दी है,वो सामान लेकर आईए। अरे शुभ्रा तुम …छोड़ो मेरा न्यूज़ पेपर, क्या दुश्मनी है तुम्हें इससे। पढ़ने दो भई। देखिये शर्मा जी मुझे और गुस्सा मत दिलाइए,आज मेरा बेटा,बहू,मेरे पोते- पोती […]

‘भाषा’,,,एक माध्यम जिससे हम अपने भावों और विचारों को बोलकर,लिखकर या सुनकर अपनी बात किसी को समझा या बता सकते हैं। यह ‘भाषा’ की सबसे सरलतम परिभाषा है,जिसे किसी भी भाषा विशेष के ‘व्याकरण’ के प्रथम अध्याय में व्याख्यापित किया जाता है। ‘भाषा’ शब्द का अंकुर जब पुस्तकीय गर्भ से […]

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अभी तो काव्य धारा को,किनारे से ही देख रही हूँ, मैं तो हूँ नवागत,धीरे-धीरे आप सभी से सीख रही हूँ। काव्य धारा के साथ बहने के लिए एक संपूर्ण कवि हृदय जरुरी है, काव्य सागर में डूबने के लिए,उसमें उतरना जरुरी है । मैं तो केवल हृदय के उद्गारों को, […]

काली महाकाली सिद्ध काली भद्रकाली मातु, घोर रुपधारिणी तुम्हारी करूँ   वन्दना।। रुप  विकराल धर दुष्टों  को    संहारती  हो, राक्षसों  के  मुंड  माल  धारिणी  की वन्दना।। लाल के संवारो काज बिगड़ी  बनाने  वाली, काली कलकत्ता वाली बार –बार  वन्दना।। पूत हूँ तुम्हारा नाम नीरज अवस्थी  मेरी, अँखियों के सपने संवारो माँ की  वन्दना।।                               […]

मैं किसान हूं और कोलिया(डिडवाना राजस्थान)गाँव से हूँ,इसलिए हमें ‘मारवाड़ी’ कहा जाता है। हमारा गाँव अपने मतिरो(तरबूज)के लिए प्रसिद्ध है। जब मैं छोटा था,तब इंदौर रहने के कारण गर्मी की छुट्टियों में ही गांव जाते थे। मेरे गाँव के किसान व दादाजी फसल के अंत में मई महीने में तरबूज(मतिरो)खाने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।