तलाशोगे खुद में तो पाओगे मुझको, भला सबसे कब तक छुपाओगे मुझको। तुम्हीं तो हो मेरी मोहब्बत की मंजिल, मैं देखूँगा कब तक रुलाओगे मुझको। नहीं भूल पाया वो वादे वफ़ा के, बताओ तो कैसे भुलाओगे मुझको। नहीं नींद आती है आँखों में अब तो, मगर एक दिन तो सुलाओगे […]

सोच रहा हूं कि किताब लिखूं, शीर्षक में ही सब हिसाब लिखूं। तू मेरी मदद कर हाथ बँटा, क्या लिखूं सही-सही बता। फौजी सैनिक सम्मान लिखूं, कि मंदसौर गोलीकांड लिखूं। प्यासी धरती,रुठा आसमान लिखूं, कर्ज में डूबकर मरता किसान लिखूं। बन्द बाजार,चक्काजाम या हड़ताल लिखूं, खुली आंख-कान की अंधी-बहरी सरकार […]

भारत के वर्तमान  राष्ट्रपति  प्रणब  मुखर्जी  का कार्यकाल  २४ जुलाई  को समाप्त  हो रहा है। १४ वें राष्ट्रपति  के चुनाव  की प्रक्रिया आरंभ  हो चुकी है। एनडीए ने रामनाथ  कोविंद  को अपना उम्मीदवार  बनाकर दलितों  का  दिल जीतने और देश को एक संदेश  देने का प्रयास  किया है। इससे पूर्व […]

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हमने बोए थे गुलाब, क्यों नागफनी उग आई ? दूध पिलाकर जिनको पाला, बन विषधर डसते हैं, जिन पर पैर जमा बढ़ना था, वे पत्थर धँसते हैं। माँगी रोटी, छीन लँगोटी जनप्रतिनिधि हँसते हैं। जिनको जनसेवा करनी थी, वे मेवा फ़ंकते हैं।! सपने बोने थे जनाब पर नींद कहो कब […]

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कहाँ गया वह पेड़, कहाँ है वह शाख। जिस पर दिखाई देती थी अर्जुन को चिड़िया की आँख॥ क्या काट दिया उस पेड़ को, लकड़हारों ने , या फिर चिड़िया को आने ही नहीं दिया बहारों ने॥ क्या अर्जुन लक्ष्य से भटक गया, क्या उसका बाण तुणीर में अटक गया॥ […]

ओ मेरे प्रिय विरोधी, चिर प्रगति-पथ अवरोधी। तुझे नमस्कार है- शत-सहस्त्र प्यार ही प्यार है। क्योंकि, तेरे विरोध की चिंगारियाँ हीं- मेरी महत्वाकांक्षाओं के यज्ञ की- पवित्र रश्मियाँ हैं, आलोक में जिनके- मेरी इच्छाएँ चढ़ती हैं- प्रगति-पथ की सीढ़ियाँ। कैसे कह दूँ मैं- तुम मेरे विरोधी हो… चिर प्रगति-पथ अवरोधी…? […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।