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मेरी माँ ने पढ़ा है जाने कौन-सा शास्त्र, कम रुपयों में भी बदल डाला पूरा अर्थशास्त्र। जाने कौन-सी तरक़ीब लगा दी, वस्तु विनिमय की नींव हिला दी। ग़ुरबत में आय न थी न लाभ की उम्मीद, उनकी बचत की परिभाषा का मैं बन बैठा मुरीद। बचत की परिभाषा कुछ इस […]

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ऐ खुदा तू मेरी किस्मत में खुदारा लिख दे, दौलते दोनों जहाँ मेरा इजारा लिख दे। लोग जो तंग अंधेरों की घुटन सहते हैं, रौशनी और उजालों का सहारा लिख दे॥ हर तरफ छाई हुई ग़ुरबतो नादारी है, इनकी तक़्दीर मेरे मौला दोबारा लिख दे। (शब्द अर्थ : खुदारा=छोटी-छोटी वस्तुएँ […]

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सड़क भी बोलती है, बहुत कम ही सही अपने लबों को खोलती है, सुर्ख हो जाते हैं, पर शिकायत तब भी नहीं.. अपने सीने पर लगे घावों को बताती नही, बारिश का पानी भर आता है उनमें टीसता है जैसे, घावों पर नमक बरबस आपका ध्यान खींचती नही। एक पत्ते […]

आँगन-आँगन उग रहे,भौतिकता के झाड़। संस्कारों की तुलसियाँ,फेंकी गई उख़ाड़॥ मन में जब पलने लगें,ईर्ष्या द्वेष विकार। तब निश्चित ही जानिए,नैतिकता की हार॥ जिनका जीवन मंत्र है,कर्म और पुरुषार्थ। वे जन ही समझे सदा,धर्मों का भावार्थ॥ जिनके मन पैदा हुआ,वैचारिक भटकाव। डूबी है उनकी सदा,भवसागर में नाव॥ कर्म भूल जब-जब […]

हे शिव शम्भू इस श्रावण में कैसे तेरा गुण गान करुं। भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करुं॥ निर्दोषों की बलि चढ़ाकर अत्याचारी मुस्काते हैं। तेरे मंदिर के रस्ते में मासूम गोली से भूने जाते हैं। हे शिव शंकर आतंकी मंसूबों को कैसे नाकाम करुं। भक्तों की लाशों […]

डगमग-डगमग करती चली, बरसात में  कागज की नाव। बचपन की याद दिलाती ये, बहती हुई  कागज की नाव॥ कौन जीतेगा , कौन हारेगा, लगाते नावों पर  ऐसे  दांव। बहती  रहती बिना पतवार, खेल-खेल में दूर करते तनाव॥ मुश्किलों में  भी डटे  रहना, सिखाती है हमें बहती नाव। जिंदगी का यही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।