‪ हे नाथ ! तुम जब चले, भ्रात भाभी को लिए। पग तुम्हारे बढ़ रहे, साथ, उनके साथ में। नैन मेरे ताकते, दूर तक है झांकते। वह छवि सिमट गई, रूठते वे रास्ते। मिलन की एक घड़ी, लखन संग जो मिली। बन्द पलकों में किए, जी रही वह एक कली। […]

बगल में पाक  चीन,धरकर    वेष  मीन, पाने को है सियाचीन,आज आर-पार हो। राष्ट्र शांति वार्ता छोड़,ड्रैगन के शीश फोड़, अस्त्र-शस्त्र सैन्य जोड़,वैरी  तार-तार हो। भारती  की है पुकार,हृदय में ले हुंकार, करे  सब  जयकार,नस-नस  ज्वार हो। राष्ट्रभक्त  कविगण,कर चेतना सृजन, दिनकर भान बन ,शब्द-शब्द  सार हो॥       […]

     पांच भाइयों  की लाड़ली बहिन है वह। माता-पिता के बाद भी सब उसे घर बुलाते,प्यार से उपहार देते। भाभियाँ भी श्रृंगार का पूरा सामान देती। भतीजे और भतीजियाँ बुआ- बुआ करते न थकते।       अचानक सम्पत्ति  को लेकर मनमुटाव हो गया। छोटे भाई जो न्यायाधीश हैं,वो […]

कहते हैं कहने दो हम नादान थोड़ी हैं, हम वतनपरस्त हैं कोई बेईमान थोड़ी है। जब दिल चाहेगा हमें खरीद लोगे क्या, ये हमारा दिल है कोई सामान थोड़ी है। लगती है आग तो बनते हैं तमाशाई, ये लोग बड़े हैवान हैं इंसान थोड़ी हैं। मैं जानता हूँ उसकी फितरत […]

कि अब नहीं उड़ती धूल मेरी गली में, नहीं गूंजता बच्चों का शोर मेरी गली में। न कोई कुल्फी वाला,और न चाट वाला, अब कोई नहीं आता जादू दिखाने वाला। अब नहीं खेलते बच्चे रेस टीप गिल्ली, डंडा भौंरा बॉटी, अब नहीं दिखते बच्चे लोटते धूल में और लपेटे माटी। […]

वक़्त फिर किस्मत पे भारी हो गया है, चाँद रातों का शिकारी हो गया है॥ बादशाहत ख्वाब की जागीर थी बस, इश्क़ में ये मन भिखारी हो गया है॥ अनमनी-सी नाचती है जिंदगी भी, झूठ उनका जो मदारी हो गया है॥ पाई-पाई बेच देंगे इस खुशी में, के सनम मेरा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।