ज़िन्दगी भी अज़ीब रंग दिखाती है, जो अपना हो नहीं सकता उसके पास ले जाती है। क्यों,ऐसे मोड़ पर छोड़कर चली गई मुझको, कि मैं चाहकर भी….. कुछ चाह नहीं सकती। कुछ बातों पर अपना बस नहीं चलता, वो तो यूं ही हो जाया करती हैं। तेरी दुनिया के रुप […]

कुछ आशाओं के जुगनू ने मन के भीतर दम तोड़ दिया, कुछ यौवन पाते सपनों ने अब साथ हृदय का छोड़ दिया। क्या पाना था,क्या खोया है अब है इसका उल्लेख नहीं, अन्दर ही अन्दर सागर हैं बाहर पानी की रेख नहीं। ये स्वप्न पंथ था किधर चला है इसका […]

यक़ीन था तेरी वफ़ाओं पर, तूने क्यों बेवफ़ाई की। क़ैद था तेरी मुहब्बत में, मुझे क्यों रिहाई दी॥  यक़ीन था तेरी चाहत पर,  तूने क्यों तन्हाई दी। उम्र गुज़ारना मुश्किल है, तूने क्यों जुदाई दी॥                               […]

बेटी माँ के कलेजे का टुकड़ा, बार-बार ये सुनती रहती हूँ मैं उसी कलेजे के टुकड़े को तू, मैया काहे को मिटा देती है।       मैं भी तो तेरा ही अंश हूँ माता,       फिर क्यों मैं पराई लगती हूँ।       भैया को कहती […]

पाखंड को मिली सजा देश तनाव में, खुसर-फुसर हो रही थी मेरे  गांव में। कौन सच्चा-कौन झूठा पहचान हो कैसे, हम माथा रख देते चमत्कारी पाँव में। पार करेगें हमें वो कहते तो यही थे, बस इसलिए बैठे हम उनकी नाव में। नाम भी था काम भी पैसा बहुत ही, […]

साहित्य से इतर कुछ भी नहीं पढ़ा मैंने, जब टटोला अक्षरों को अक्षरों की ध्वनियों को, जीवन का प्रारंभ माँ से हुआ, और अन्त भी ‘म’ मृत्यु से ही होगा जीवन का सत्य यही है, शेष सब भ्रमित अस्तित्वहीन क्षणिक खुशियाँ, विचलित करती भटकाती हैं, मगर सत्य को न झुठला […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।