ढूँढ रही हूँ खुद को टुकड़ों-किरचों में, ज़िन्दगी टूटकर यूँ बिखरी है। कुछ में घर-आँगन का अक्स है, जिन्हें सजाने में तमाम उम्र गुजार दी। सब हैं पेड़-पौधे,फुलवारी, यहाँ तक मुंडेर पर बैठे परिन्दे भी। दूर-दूर तक के रिश्ते नाते भी, और कर्मों के बही खाते भी। रौनकें भी हैं,तो […]

उल्टे-सीधे कागज़ भर के यों मत बटुवा भारी करिए। अब घंटी बजने वाली है,चलने की तैयारी करिए॥ मीठा बोलो और सभी के मन में अपना करो ठिकाना। ज्यादा दिन तक कौन रहेगा,फिर क्यों थानेदारी करिए॥ गंदले जल के स्रोत प्रदूषित करने को आतुर लगते हैं। करना है तो पावन गंगा […]

1

इक शिकारा हो,किसी रेगिस्तान में मुझे सर्दी पसन्द है,उसे गर्मी…॥ इक बूंद-सा,ढूंढ ले वो मुझे समुंदर में, मुझे बरफ पसंद है,उसे पानी…॥ धुंए-सा पहचान ले,वो मुझे कोहरे में, मुझे ओस पंसद है,उसे ओस का पानी…॥ ऱज़ में पड़ा मिला,पाक़ पत्थऱ-सा मैं, मुझे प्यार पसंद है,उसे कुर्बानी …॥ शब्दकोश के अनन्त […]

पढ़ाई मानव जीवन का आधार है, सरस्वती माता का प्यारा उपहार है। शारदे माँ का यह अनुपम सितार है, गुरू के आशीष से हमारा उद्धार है। तपस्वी गुरू की दिव्य दृष्टि निहार है, गुरू,ब्रह्मा,विष्णु,महेश आकार है। गुरूदेव अद्भुत ज्ञान का भण्डार है, विनम्रता विद्यार्थी का प्रवेश द्वार है। परिश्रम से […]

‘कौन हूँ मैं’???,कितनी सहजता से हम इसे यत्र-तत्र चिंतन के विषय रूप में प्रस्तुत कर देते हैं। सत्य तो यह है कि, ये विषय है ही नहीं,अपितु ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर तलाशते-तलाशते सदियाँ ही नहीं,अपितु न जाने कितने युग बीते हैं। कहते हैं कि जो इस प्रश्न का […]

ये कैसी व्यथा है, गरीब कागज पर उतरता है और दर्द बिकता हैl बोली लगती लाखों में, आदमी तिल-तिल मरता हैll जमाने की बेदर्दी को तो देखो, वह अमीरों की दीवारों पर शो-पीस बनकर सजता हैl उम्मीदों से भरी नजरों को, नजरअंदाज कर उनके आँसूओं पर वाह-वाही लेता हैl गरीब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।