महीना आया दिसम्बर का अवकाश शीतकालीन का, असर मुक़म्मली सर्दी का कंपकंपी वाली ठंडक का। चारों ओर धुंध ही धुंध कोहरे ने बढ़ाई मुश्किल, नम हवा ने बढ़ाई ठिठुरन स्कूल जाना हुआ कठिन। स्कूलों में छाई खामोशी कक्षा कक्ष पड़े खाली, खेल मैदान में ओस कण बिखरे ठंडे पड़े नानिहालों […]

सोच-समझकर शादी करना, बदले राज्य बिहार में। वर्ना एक दिन जाना होगा, सीधे जेल तिहार में। बाल विवाह हो गया बन्द है, बुरी नज़र को बदलें। भूल से इनसे करें न शादी, अखबारों में पढ़ लें। अब न बाराती जा पाएंगे, ठाठ से मँहगी कार में। वर्ना एक दिन जाना […]

‘चौराहे पर लुटता चीर प्यादे से पिट गया वजीर, चलूँ आखिरी चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति रचाँऊ मैं, राह कौन-सी जाँऊ मैं ?’ ‘धर्मयुग’ में प्रकाशित आपका आत्म चिंतन मंथन,यथार्थ से साक्षात्कार, स्वीकारोक्ति मेरे हृदय में आज भी जीवित है, आपके प्रति मेरे सम्मान की सूचक है। आत्म चिंतन के […]

चलो अब ख़त्म हम सारी पुरानी बात करते हैं, भुलाकर तल्ख़ियाँ सारी नई शुरुआत करते हैं। बुझाकर नफ़रतों की आग को सब प्यार ही बाँटें, दिलों में हम चलो पैदा वही जज्बात करते हैं॥ जहाँ तम का बसेरा है ज़रा-सी रोशनी बाँटें, उदासी है जहाँ उनको चलो थोड़ी खुशी बाँटें। […]

  मुरली,माखन,प्रीति  है,कृपा मिले अभिराम। ब्रजवासी फिर मुक्ति क्यों,चाहेगा घनश्याम!॥ जड़-चेतन,चर-अचर सब,मोहे खोकर ध्यान। हुई अचेतन सृष्टि सब,सुन मुरली की तान॥ भागीं मधुवन के लिए,बूढ़ी,बाल-जवान। हुईं गोपियाँ बावलीं,सुन मुरली की तान॥ झूमें,नाचे चर-अचर,भूल देश,गति,काल। कान्हा की बंशी बुने,सम्मोहन का जाल॥                     […]

सूरज,पृथ्वी,चाँद,घूमते तेरे कारण। तुझमें ही है आदि अंत,तुमसे जग तारण॥ माया मत्सर मोह लोभ सब तेरे अनुचर। रोम-रोम अधिकार होय जल-थल या नभचर॥ काल अकाल विकाल तुम्हारे हैं सब साधन। कर्म भाग्य दुर्भाग्य बसे तेरे ही आनन॥ भटक रहा मैं हाय,मार्ग दिखलाना होगा। अवध न जाए हार,अवधपति !आना होगा॥ #अवधेश […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।