न जाने क्या थी उसको कसर, जो छोड़ गई बीच में वो सफर। जमाने की चकाचौंध में इतनी, हुई दिवानी कि नहीं रखा सबर॥ कर रहें हम तो यादों में बसर, उसको भी है इसकी खबर। जिन्दगी खट्टा-मीठा आनंद है, दिल की बातें आज है बेअसर॥ जमाने के सच का […]

देखो कोहरा छाया है। प्रेम सन्देसा आया है॥ धुंध छाई मन आंगन। तन भी तो भरमाया है॥ तुम आओ तो बात बने कुहासा क्यों सजाया है॥ ये मौसम क्यूँ सुहाना है। घूँघट में कौन शर्माया है॥ खामोशी में ये कैसा शोर। शायद दिल चटकाया है॥ रातों की अब क्या तलब। […]

कभी लगती बुरी तो कभी लगती भली है। जिंदगी भी मेरा इम्तेहान लेने पर तुली है॥ एक बार नहीं,ऐसा बार-बार  हो रहा है। हालातों द्वारा अरमानों का शिकार हो रहा है॥ कभी अनूकूल तो कभी  विपरीत चली है। जिंदगी भी मेरा इम्तेहान लेने पर तुली है॥ अपने अहसास को मैं […]

अनन्तकाल से ही मानव की इच्छा रही है कि वह प्रसिद्ध हो,उसके पास धन-दौलत हो,उसे मान-सम्मान प्राप्त हो,लोग उसे जाने पहचानें। तब से ही मानव इन सबको प्राप्त करने के प्रयास में रहा है और इसके लिए न जाने क्या-क्या करता रहा है ?,और आज भी कर रहा है। आजकल […]

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(नव वर्ष विशेष) जो बीत गया उसको प्रणाम…। मेरे आगत ! स्वागत ललाम…॥ कुछ खट्टी-मीठी यादों के, मंजर मन को चिंतन देंगे…। कुछ बिछुड़े अपनों के साए, रिश्तों को अवगुंठन देंगे। फिर स्मृतियों से फूटेंगे…, संभावित कुछ अंकुर अनाम…। मेरे आगत ! स्वागत ललाम…॥ है समय चक्र की गति पावन, […]

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इस तरह कभी तुमने सांझ को ढलते देखा है। दूर कहीं आसमां के तले जिंदगी को मिलते देखा है॥ चेहरे की झुर्रियाँ बताती हैं हमें कि उम्र को रफ्ता-रफ्ता ढलते देखा है। कचनार की शाखों से पूछो तो जरा, उसने कभी गुंचों को टूटते देखा है॥ उस वक्त वो था […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।