हाथ तिरंगा गहने वाला दीप बुझ गया जलते-जलते। वंदे मातरम् के उत्तर में कत्ल हो गया चलते-चलते। राष्ट्र चेतना की वेदी पर शीश चढ़ा एक और तरुण- दर्पण उसने दिखा दिया है राजतंत्र को हँसते-हँसते॥ राष्ट्रभक्ति की बेल छजी जब सत्ता चौबारों में। वंदेमातरम् के रखवाले कटते क्यों बाजारों में। […]