नेह से बंधे धागे प्यार के न तुम संभाल सके न मैं । पूरी करते रहे सभी जिम्मेदारियाँ न पीछे तुम हटे ,न मैं। इक -इक कदम भी आते करीब तो मिट जाती दूरियाँ। एक होने को हमदम न आगे तुम बढ़े, न मैं । खाई थी कसमें फलक तक,साथ […]

जन जी आगे आगे    सजनी भी पीछे भागे      हाथ  लिए झाड़ू आज                खूब धमका रही रात आये पी शराब     बन ठाठ से नबाब       झाड़ने लगे रुआब              अब बतला रही […]

मचानी है तो धूम मचाओ, लेकिन बेटी. बचाओ चाहे उसे सोना न दिलाओ, लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसे नाच नचाओ, लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसकी मांग पूरी न हो लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसे उसे कम पढ़ाओ लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसे चाय पिलाओ लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसे पायल […]

कोई किसी के निशाने पर है ऐतबार नहीं जमाने पर है किसी को पढ़ पाना आसां नहीं दर्द किसी का मुस्कुराने पर है मूर्खो से बहस करें तो कैसे करें भला तो फिर सर झुकाने पर है मासूम फूल भी खिलकर बिखर गया तोड़ा किसी ने फिर मुरझाने पर है […]

संगीत में रुचि तो बचपन से ही रही थी पर तब ज्यादा उसकी महत्व पता नही था। माँ को पुराने फिल्मी गाने बजाने का शौक था और हम भी उसमें रुचिवान होते गये। संगीत का प्रभु भक्ति के साथ भी संबंध है यह सब माँ ने बालक थे हम तभी […]

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दीपक  तू !! तिल – तिल  कर  जलता  जा नीरव   होकर , अपना  कर्तव्य  निभाता  जा, समय  चक्र  के, साथ -साथ  तू  चलता  जा । दीपक  तू ! तिल-तिल  कर  जलता  जा ।। ज़ाहिर  हैं  जग  में पतंगे  की  तुझसे  प्रीत तू  क्यों  न , बन  सका कभी  उसका   मीत […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।