अपनी तमन्नाओं पे शर्मिंदा क्यूँ हुआ जाये एक हम ही नहीं जिनके ख़्वाब टूटे हैं इस दौर से गुजरे हैं ये जान-ओ-दिल संगीन माहौल में जख़्म सम्हाल रखे हैं नजर उठाई बेचैनी शर्मा के मुस्कुरा गयी ख़्बाब कुछ हसीन दिल से लगा रखे  हैं दियार-ए-सहर१ में दर्द-शनास२ हूँ तो क्या बेरब्त उम्मीदों में ग़मज़दा और भी हैं अहद-ए-वफ़ा३ करके ‘राहत’ जुबां चुप है वर्ना आरजुओं के ऐवां४ और भी है शब्दार्थ: १. दियार-ए-सहर – सुबह की दुनियाँ २. दर्द-शनास – दर्द समझने बाला  ३. अहद-ए-वफ़ा – प्रेम प्रतिज्ञा ४. ऐवां – महल # डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 229

राधा तुमको अब मै क्या बोलूं  । क्यों  मैं तुमरे आगे पीछे डोलूं। पता नही क्या समझे  दुनियां। सो मन के भेद कहाँ पर खोलूं। कान्हा तुम हो और हम है। फिरकिस दुनियां का गम है। मुझे कुछ भी दिखाई नही देता। बस दुनियां सारी हम तुम है। पता नही […]

चलने के लिये कदमों का रूकना   भी   जरूरी   है रूकना   जरूरी   है    तो संभलना  भी  जरूरी   है|| गुलाब   जरूरी    है   तो काँटे  भी    जरूरी     हैं चहक  उठे   बगिया   तो खिलना  भी  जरूरी  है|| ऊषा   जरूरी    है   तो यामिनी  भी  जरूरी  है फ़र्श   से     उठने  […]

कुछ अँधेरों के साथ रहती हूँ यूँ उजालों की बात कहती हूँ बनके “माही” में ज्वार भाटा भी इस समन्दर के साथ बहती हूँ 2)- पर्त दर पर्त जब भी खुली हूँ मैं आँसुओं से सदा ही धुली हूँ मैं रुख़ बदल डालूँगी इन हवाओं का आज इस बात पर […]

आजकल हम सब लोग पश्चिमीकरण और आधुनिकता की दौड़ में इतने अंधे हो चुके हैं कि हम अपनी भारतीयता को, अपनी भारतीय संस्कृति को, सभ्यता को, भारतीय मूल्यों को भूलते जा रहे हैं ,जो वास्तव में पृथ्वी का आधार कहीं जा सकते हैं। मैंने इस छोटी सी कहानी के माध्यम […]

धुंधलाने न दे नन्हें विटपों का सवेरा , उम्मीदों की उड़ानों से भरा है चेहरा , छोटे हैं पर सपने इनके खूब बड़े – बड़े , दे बड़ें इन्हें आकार आगे हैं ये बढ़ें । नयी तकनीकियों में झूल रहा है संसार , नोनिहालों का बचपन करे है ये दुश्वार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।