बिगुल बज गया राष्ट्रभाषा का। प्रत्येक बालक बालिका जगी।। इंदौर जागा राजस्थान जागा। हिंदी संगणक योद्धा भी जगा।। हिन्दी भाषा माता है सबकी। मातृभाषा डॉट कॉम वेब की।। अन्तराशब्दशक्ति प्रकल्प की। हिन्दी ग्राम समूह वटवृक्ष की।। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के । अर्पण,प्रीति का एक ही नारा है।। राजभाषा को राष्ट्रभाषा […]

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एक मित्र आया था उदास चेहरे के साथ रुपया मांगने विश्वास पर हमने रुपया दे दिया आठ महीने बीत गए इसी इंतेजार में आज देगा या कल अब जरुरत पड़ी मुझे रुपया की तो न कॉल उठाता है न ही कॉल करता है सोच – सोच कर मन व्याकुल हो […]

अधरों की वाणी  शब्दों में,  बतरस घोल रही । अपने हिय की करुण , कहानी कविता बोल रही ।। प्रेम पगे धागे रिश्तों का, हार बनाया है , मन आशा के दीप जला संसार बसाया है , सपने टूटें नहीं शब्द मैं, चुन-चुन तोल रही। घायल मन जब जब होता […]

परमात्मा की देन है जीवन यह श्रीमान जब तक यह जीवन चले लो परमात्मा का नाम जो जीवात्मा धरा पर है वह परमात्म उपहार उन सबको अपना मानो तभी सुखद संसार सद्कर्म तुम्हारे हाथ है यश,अपयश विधि हाथ सदमार्ग पर गर चलोगे परमात्मा भी देंगे साथ। #गोपाल नारसन परिचय: गोपाल नारसन […]

शुचि जीवन निर्मल मन हो, दूर दुमति हो सद्सम्मति हो, जीवन भाषित मन सुवासित, सदा दूर हो मम् अज्ञान, कृपा करो कुछ कृपानिधान। कभी गलत न होवे हमसे, सदा दूर रहे हम गम से मन मेरा पावन हो जम जम से, सही गलत को लेवे छान, कृपा करो कुछ कृपानिधान। […]

तेरा चेहरा फूलों की तरह है मेरे लिए । तुम कभी ना मुरझाना मेरे लिए ।। ये वक़्त भी कट जाएगा में हूँ सदा तेरे लिए । तेरे साथ चलूँगा सदा हाथ में हाँथ लिए।। थामा है दामन तेरा मैंने जीने के लिए। मत छोड़ना अकेला मुझे मरने के लिए […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।