जिंदगी की कल्पना करूं या,मौत लिखूं.. मैं लिखूं तो आखिर किस पर लिखूं । फूलों की क्यारियों में है कांटों की चुभन भी, महकते कश्मीर में है बारूद की धमक भी.. इंसान की मासूमियत कहूं या जुल्म लिखू मैं, लिखूं तो आखिर किस पर लिखू मैं । एकता में घुल […]
काव्यभाषा
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