जीवन में जब बढ़ने लगे वियोग, अनेक रोग जब कर रहे भोग.. जब शरीर को करना हो निरोग, तो एक ही रास्ता है योग। सांसों को जब लगाना हो आयाम, तो करे मानुष थोड़ा प्राणायम.. आसन से आती सकारात्मकता, ध्यान से दूर होती नकारात्मक्ता। जब शरीर को करना हो निरोग, […]
काव्यभाषा
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