घूम लो गाँव,खेत-खलिहान…, लौटकर घर ही तो आओगे। शहर की चकाचौंध में रह लो…, जुगनूं से मिलने तो आओगे। पंखे,एसी का आराम ले लो…, एक दिन तो सड़क पर आओगे। पेड़ों की शाखाएं तोड़ डालो…, चिता पर लकड़ी न पाओगे। अवरोध रास्तों पर तो होंगे ही…, रोज चलोगे तो सुकून […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा