जुगनूं से मिलने तो…

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prabhat kumar
घूम लो गाँव,खेत-खलिहान…,
लौटकर घर ही तो आओगे।
शहर की चकाचौंध में रह लो…,
जुगनूं से मिलने तो आओगे।
पंखे,एसी का आराम ले लो…,
एक दिन तो सड़क पर आओगे।
पेड़ों  की शाखाएं तोड़ डालो…,
चिता पर लकड़ी न पाओगे।
अवरोध रास्तों पर तो होंगे ही…,
रोज चलोगे तो सुकून पाओगे।
पोखरे को पाट के नींव रख ली…,
अब गारे का पानी न पाओगे।
जिंदगी में जो भी कुछ मिला…,
संतोष करो तो खुशी पाओगे।
घूम लो गाँव,खेत-खलिहान…,
लौटकर घर ही तो आओगे॥
                                                                                   #प्रभात कुमार 
परिचय : प्रभात कुमार ब्लॉग पर भी हिन्दी में लिखते हैं। आप मूल रुप से उत्तर प्रदेश के बेलवाडाड,कलवारी(जिला बस्ती) के हैं। २७ बरस के श्री कुमार दिल्ली में एक चिकित्सा संस्थान में शोध अध्येता हैं। 

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