भाषा संस्कृति की संवाहक, वेष देश का है परिचायक।। ” क्या भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है ? ” अंग्रेज़ी में उसने पूछा । मैंने कहा – ” हाँ , हिन्दी है “। उसने उत्तर दिया -” मैंने तो आज तक किसी भारतीय को हिन्दी बोलते नहीं सुना ।” मैंने […]

कहीं पिघलना तो कहीं गलना है बहुत वो अदना औरत है उसे सँभलना है बहुत कहीं सीता तो कहीं पद्मावती अब भी हैं बहुत रिवाज़ की आग पर अभी उन्हें जलना है बहुत #मी टू, #ही फ़ॉर सी से कुछ बदलेगा नहीं आखिरकार ज़ुबाँ उन्हें ही सिलना है बहुत आखिर […]

बात पहले की है । भारतीय मिथकीय पात्र और लेखिकाओं का नारी विमर्श में डूबा हुआ था। यूं मेरे पास, उससे भी बहुत पहले, अपने काव्य नाटक ’खण्ड खण्ड अग्नि’ के सिलसिले में वाल्मीकि रामायण के अग्नि परीक्षा-प्रसंग की सीता का अपने समय के लिहाज से सशक्त नारी विमर्श भी […]

सच चाहिए तो देखिए आईना झूठ नही बोलता कभी आईना एक भी दाग लगा हो दामन पर उसे भी सामने ले आता आईना स्वयं को जानने की तरकीब यह भी स्वयं के सामने ले आइये आईना सावधान कैमरे की नजर मे है आप क्यो भूलते हो परमात्मा का आईना कही […]

भाग–1 यानी काम किसी और का शोहरत किसी और कि,,, दोस्तो आज की चर्चा का उनवान यानी विषय है कि काम किसी और का, शोहरत किसी और को मिले फिल्मो में बढ़ता चलन VFX और CGI का, उदाहरण के तौर पर आपने बाहुबली-1 फ़िल्म देखी होगी तो उस फिल्म में […]

मेरी माँ गीत है , प्यार संसार की, मेरी माँ मुझको मिली है, फूल फुलवार की, मेरी माँ हैं गीत हैं ,प्यार संसार की, मेरी माँ मुझको मिली है,फूल फुलवार की, पानी में भी खिले वो, मैथिल कमल सरोज है। दीप की बाती वही, मुख मेरी वो ओज है।। मेरी  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।