छोटी सी बिटिया ना जाने कब बड़ी हो गयी। नन्हे नन्हे थे जिसके पाँव,पता नही कब खुद अपने ही पैरों पर खड़ी हो गयी।। खुशियो के माहौल से आज घर का हर कोना महक रहा है। बाबुल की बिटिया अपनी शादी की खुशी में चहक रही है।। दूर गाँव से […]

ओस से  लिप्त  उगता  सूरज  देख  कर मन हर्षाया है। ऐसा लग रहा है,जैसे कोई बिछड़ा दोस्त लौट आया है।। आओ स्वागत करे हाथ उठाकर सूरज का कुछ इस तरह। जैसे  बिछड़ा  मीत  तुमसे  मिलने  फिर  से  आया  है ।। आओ आलिंगन करे सूरज का बाहें उठाकर इस तरह। जैसे  […]

जीवन से छुटा,वापस आता नही है। कोई भी हो दर्द,फिर उसे सताता नही है ।। जीवन की कठिनाइयां उसे सताती नही है। जिसके ऊपर मोह माया का साया नही है।। जीवन भर फिर वो झूठ बोलता नही है। रुपये पैसे की खनखन जिसे सुनती नही है।। जीवन भर फिर गम […]

हर साल की तरह दिवाली का त्यौहार आने पर राज और पिंकी बहुत खुश थे।इस त्यौहार पर चारो तरफ होने वाली रोशनी और पटाखों की धूम दोनों बच्चों के मन को बहुत खुशी देती थी,लेकिन इनकी दिवाली उस दिन नही होती जिस दिन दीवाली होती है, दिवाली के अगले दिन […]

कुछ  लोग  आजकल  घमंड  में कुछ इस तरह चूर हूँ। उड़ना चाहते हवा में,फिर भी जमीन पर चलने को मजबूर है।। कुछ  लोग आजकल  शातिर  कव्वे  सी नजरे  चला रहे है। बनना चाहते भला,फिर भी कभी ना कभी चोट ही पहुँचा रहे है।। कुछ  लोग  आजकल  शतरंज  की  बिसात  बिछा  […]

ऊँचाई पर उड़ता शकुनि मन भूल गया अपनी बुराई को। कैसे – कैसे वो नित प्रपंच रचता है दिलाने दूसरे को बुराई।। दूसरे की जिव्हा पर नित अपने शब्दों को बोता है। अपनेपन की आड़ में नित नए षड्यंत्र वो पिरोता है।। कितनी भी कर ले कौव्वा कोशिश,काय काय ना […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।