राजू को अपनी ही पड़ोस कि एक लडकी से प्यार हो गया ।राजू ने उस लडकी कामिनी (काल्पनिक नाम) को दोस्त बनाया पर वह अपने प्यार का इजहार न कर सका, क्योंकि उसे डर था कि कहीँ वह और घर वाले विरोध न कर दे तो दोस्ती भी टुट जाएगी […]

श्रमिक के श्रम का कब करोगे सम्मान जबकि उनके परिश्रम पर ही टिका है देश का मान। कल-कारखाने हो या हो खेत खलिहान श्रमिक के श्रम बिन सब बंद और बंजर समान। सडक रेल या हवाई सफर श्रम के बिन सब लचर श्रमिक की तो बात निराली अपने श्रम से […]

मजदूर से दूरी क्यों? होती क्यों दूर व्यवस्थाएँ? जबकि वो तो स्तंभ है प्रगति की रोज बनाते नव आकार इनके हाथों से सजी हर वो महल की दर-ओ- दिवार। मजबूरी इनका पीछा न छोड़े मजदूरी करते दिन-रात देश-परदेश की मिट्टी मे रहकर सजते- संवारते अपने हालात। जरूरत की श्रृंगार से […]

अपना क्या है? सब है तेरा सामने, तू है फिर क्यो हो अंधेरा? फासले बढ गये रास्ते बदल गये छा गया अंधेरा अपना क्या है? सब है तेरा सामने, तू है फिर क्यो हो अंधेरा? दूर बस्तियों में है बसेरा है बसेरा मुश्किलो का रोज सामना मेरा सामना मेरा अपना […]

लाईन में जिंदगी आम आदमी की जिंदगी गुजरती है लाईन में ॥ ख्वाबों की लड़ियां सजती -बिखरती है लाईन में । आम आदमी ********॥ क्षुधातृप्ति का सामान राशन है लाईन में । जलानी हो ढिबरी तो किरासन भी लाईन में । आम आदमी *******॥ निकले जो सफर में टिकट भी […]

जी जी कहने वालो स्वीकार किया जी हजूरी जी घोषणा पत्र के जरिये पुनः साबित किया कमजोरी जी। जी जी से खुश होते बाहर बैठे आका अब तो घोषणा पत्र में आ गये है टाका जी। नोटबंदी और जीएसटी घरों पर डाले छापा हालत हुई खस्ता एक इलेक्शन में याद […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।