लाईन में जिंदगी

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dhirendra
लाईन में जिंदगी
आम आदमी की जिंदगी
गुजरती है लाईन में ॥
ख्वाबों की लड़ियां
सजती -बिखरती है लाईन में ।
आम आदमी ********॥
क्षुधातृप्ति का सामान
राशन है लाईन में ।
जलानी हो ढिबरी तो
किरासन भी लाईन में ।
आम आदमी *******॥
निकले जो सफर में
टिकट भी लाईन में ।
मनोरंजन के लिए सिनेमाघर
जगह मिलती है लाईन में ।
आम आदमी ********॥
इलाज के लिए मरीज
खड़ा रहता है लाईन में ।
सहायक भी हो जाता है
बीमार लाईन में ।
आम आदमी ********॥
न्याय भी नहीं सहज
केस की प्रगति होती है लाईन में ।
हर आदमी का खुला है खाता
हर लेन -देन होता है लाईन में ।
आम आदमी ********॥
बड़े -बड़े मंदिर में
भक्त भी लाईन में
लोकतंत्र का महापर्व
मतदान भी लाईन में ।
आम आदमी *******॥
हर जगह देखिए
आम आदमी ही लाईन में
मिलेगा कहीं नहीं
खास आदमी लाईन में ।
आम आदमी *******॥
आम को खास बनाया
लग के जो लाईन में
आज भी है वही
लगा हुआ लाईन में ।
आम आदमी ******॥
#आचार्य धीरेन्द्र झा 
परिचय-
संस्कृत साहित्य से आचार्य वर्षों से कविता लेखन में रत है। रचनाओं में शृंगार रस की प्रधानता होती है । प्रसाद साहित्य परिषद , हिन्दी साहित्य सम्मेलन एवम् कला संगम संस्थाओं से जुड़े है।
प्रखंड -रुन्नी सैदपुर 
सीतामढी , बिहार 

matruadmin

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