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मेरी मातृ भाषा ही मेरी जननी की भाषा है,
हे श्रेष्ठ मानव ! बस इतनी अभिलाषा है ।
मातृ भाषा का प्रचार करो,
अंग्रेजी का अब त्याग करो।
हिन्दी अपने हिन्द की भाषा,
इसका तुम सम्मान करो।
माँ भारती अपनी हो और हमारी भाषा हो,
छा जाए विश्व में सारे यह अपनी अभिलाषा हो।
धन्य बना दो कण कण इसका,
वीरों की इस मातृभूमि को,
चलो आज हम सब इसका,
बीडा उठाते हैं यह सब करने को।
मातृभाषा की कशिश जगा दो हर सीने में,
पत्थर भी बोले गाथा ऐसी आग लगा दो सीने में।
#विपिन कुमार मौर्या
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