ज़ख्म_है_तो_लाज़मी_है_दर्द_होना 

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asprindar deji
#ज़ख्म_है_तो_लाज़मी_है_दर्द_होना
बेशक़ दिखते नहीँ..
#दर्दे जिग़र पे एहसासों की परत जो लगी है
यादेँ हैँ तो लाज़मी है अश्कों से धोना
 सूख जाते हैँ कुछ नासूर_ए_ज़ख्म
  बस चंद बूँदों से धोने पड़ते हैँ
    रिसते रहते हैँ ….कतारों में
वो #दर्द जो लम्हों में ठहरे रहते हैँ
ज़िस्मों_जाँ है तो लाज़मी है चाहत होना
बेशक़ बेसबब बेहितेँहा
निगाहोँ में कशिश_ए_रूप की परत जो चढ़ी है
रूह से है तो लाज़मी है पाकीजा होना
   आह बन कर टपकते हैँ पलकों से
    लबों से ज़ाम ए हंसी पीते हैँ
    आँखो में रहते हैँ #दर्द ..ग़ज़ल बन
   वो ज़ख्म जो रूह में उतर जाते हैँ ….
#ज़ख्म_है_तो_लाज़मी_है_दर्द_होना**
  #कभी_ये_दर्द_जीने_की_वज़ह_बन_जाते_हैँ #
#असपिंदर कौर बेदी 
परिचय
पूर्ण नाम: -असपिंदर कौर बेदी 
साहित्यिक उपनाम: -डेज़ी बेदी जूनेज 
शहर -मोहाली (चंडीगढ़)
राज्य —- पंजाब 

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।