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हिन्द सागर जिसके चरणों को धोता हैं
गंगा सिन्धु की उछाल कण कण में सजोता है
सपनों से भरा ये देश अपने अस्तित्व की मौजूदगी को दोहराता है
भारत अपनी गाथा खुद गाता है
कईयों ने लुटा कई यहां बस गये
पर भारत ने अपने अस्तित्व की क्षुण्ता को भी नहीं खोया
अपने अस्तित्व को आज भी दोहराता है
भारत अपनी गाता खूद गाता है
प्रथ्वी पर ही नहीं आकाश में तीरंगा लहराता है
चांद मंगल सब जगह अपना अस्तित्व दोहराता है
भारत अपनी गाथा खूद गाता है
#एकता व्यास
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