दिव्य-पायलिया—जानकी

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babulal sharma

पायल,दिव्य पद कमल
वे दिव्य-देवी प्रमान् की।
जानकी हर ली दशानन
बाजी लगादी जान की।

हाः राम,हाः लषन, वीर
हर ली ये रावण पातकी।
मानी न, आन लषन की
दोषी बनी निज जानकी।

क्रोधित जटायू भिड़ रहा
ले जाने न दे माँ जानकी।
जानकी हित ‘पर’कटाये
परवाह नहीं की जान की।

पथ में देख,कपिजूथ सिय
किष्किंधा गिरि शान की।
पटकी…पायलिया राह में
सोच समझ हिय जानकी।

भटकत रामलखन वन में
द्वय खोजत सिय मानकी।
मन बजती, रमती प्रभु के
दिव्य पायलिया जानकी।

हनुमत मिले द्विज वेष में
मनभक्ति,प्रेम सम्मान की।
प्रभु ने बखानी,निजव्यथा
वन राम लक्ष्मण जानकी।

आ मिले हनु सुकंठ हरि
सुरीति प्रीति पहचान की।
देखीं वे दैवी पायलें
है वचन खोजें जानकी।

प्रभुराम देखि,भ्रात पूछे
पायल हैं क्या जान की।
लखन कहे करजोरि केे
तात, क्षमा हो जान की।

पद कमल तो पहचानलूँ
पूजे , चरण श्री जानकी।
पायल पहचानू नहीं , मै
पदरज हूँ माता जानकी।

नाम- बाबू लाल शर्मा 

साहित्यिक उपनाम- बौहरा

जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)

वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा  (राज.)

राज्य- राजस्थान

शिक्षा-M.A, B.ED.

कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा

सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार

लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे

सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत

अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ   अभियान

लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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