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मेरे सर पर बांध
माँ कसकर पगडी ।
हाथ में दे -दे एक
मजबूत लकडी ।।
मेरी संस्कृति की
पहचान है पगडी ।
देश की शान है
सम्मान है पगडी ।।
फैल रहा आंतक
कर रहे गडबडी ।
करुं शत्रुओं की
मैं पिटाई तगडी ।।
मेरी मूंछों पर ताव
रहे ये सदा खडी ।
लगा दे माँ तिलक
काली टीकी बडी ।।
माँ के हाथों में तो
है, जादू की झडी ।
देती आशीष ऐसा
मेरी हर बला टली ।।
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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