पगडी

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 gopal
मेरे  सर  पर बांध
माँ कसकर पगडी ।
हाथ में दे -दे एक
मजबूत   लकडी ।।
मेरी संस्कृति की
पहचान है पगडी ।
देश  की शान है
सम्मान है पगडी ।।
फैल  रहा आंतक
कर  रहे  गडबडी ।
करुं  शत्रुओं  की
मैं  पिटाई  तगडी ।।
मेरी मूंछों पर ताव
रहे  ये  सदा खडी ।
लगा दे माँ तिलक
काली टीकी बडी ।।
माँ के हाथों में तो
है, जादू की झडी ।
देती आशीष ऐसा
मेरी हर बला टली ।।

       

  #गोपाल कौशल

परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।

Arpan Jain

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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