जिंदगी में कुछ तो तेरे साए

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manish

जिंदगी में कुछ तो तेरे साए नजर आएँगे,
ठुकराकर भी तुझे ये ‘इरादे’ नजर आएँगे।

अपना क्या है यहां इस दर्दे दिल के वास्ते,
तन्हा रातों में हमें ये ‘सितारे’ नजर आएँगे।

सोचा था इश्क में जिंदगी ये हसीन होगी,
भुलाने वालों को ये ‘बहाने’ नजर
आएँगे।

खुदा की खुदाई से हम क्या गिला करें,
उसके रहते झूठे ये ‘तराने’ नजर
आएँगे।

चाहा तो था रहना खुशियों के आंगन में,
लेकिन गम भरे ये ‘फसाने’ नजर
आएँगे।

ये दुनिया इक मोहब्बत का खेल- तमाशा है,
हँसने वाले लोग ये ‘अंजाने’ नजर
आएँगे।

चलना अब किसी की यादों के सहारे है,
सफर में ख्वाब ये ‘भुलाते’ नजर आएँगे।

          #मनीष कुमार ‘मुसाफिर’

परिचय : युवा कवि और लेखक के रुप में मनीष कुमार ‘मुसाफिर’ मध्यप्रदेश के महेश्वर (ईटावदी,जिला खरगोन) में बसते हैं।आप खास तौर से ग़ज़ल की रचना करते हैं।

 

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