कोशिश करने वालों की हार नहीं होती…

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pinki paturi
जब भी हम किसी काम में असफल होते हैं तो हमेशा से ही,अपने बड़ों से सुनते आए हैं कि,-`हिम्मत रखो,फिर से कोशिश करो,सफलता जरूर मिलेगी`,लेकिन आज के बच्चे बेचारे,उतने सफल नहीं हो पाते जितनी वो मेहनत करते हैं। सबसे बड़ा कारण आरक्षण नीति है। कोई विवाद न हो, इसलिए यह कहना उचित समझूँगी कि मान लो,एक बार में किसी प्रतियोगी परीक्षा में असफल होते भी हैं तो यह तो निश्चित है कि मेहनत की आदत तो पड़ ही जाएगी। अब फिर से दो बातें सामने आती हैं कि,क्या उतनी ही या उससे अधिक मेहनत उसी काम के लिए की जाए या रास्ता ही दूसरा चुन लिया जाए। दोनों ही ग़लत नहीं हैं। मेरा ऐसा मानना है कि,कोई भी काम यदि रुचि का है और उत्साह है तो निश्चित ही सफलता मिलेगी।
वो कहते हैं न कि-यदि उत्तम उद्देश्य,और नीति से कोई कार्य शुरू किया जाए तो सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति उसे पूरा करने में जुट जाती है।
याद रखी कि,फैसला,दृष्टिकोण स्वयं का होना जरूरी है,किसी दबाव में आकर नहीं। एक,या दो बार,या कई बार असफल होना भी पैमाना नहीं है कि,आने वाले समय में वह व्यक्ति कितना सफल होगा।
सबसे बड़ी और अहम बात है-उत्साह का सदैव जिंदा रहना। उत्साह खत्म तो सब कुछ खत्म। `कोशिश` पर कुछ लिखते हुए सोहनलाल द्विवेदी की यह पंक्तियाँ बर्बस ही ज़ेहन में आ जाती हैं,जिसे गा-गाकर बड़े हुए हैं-
`लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।`
यह एक गुरु मंत्र है,क्योंकि जीवन में सफलता-असफलता तो लगी रहती है। इनसे घबराकर आत्मघाती कदम नहीं उठाना चाहिए। मनचाहा रोजगार नहीं मिलना,प्रेमी या प्रेमिका का ठुकराना,परीक्षा में सफलता नहीं मिलना,या यह कहें कि जो चाहा,वो नहीं मिलना,तो हम निराशा से घिर जाते हैं। कई बार वो मिल जाता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। ऐसे में महत्वपूर्ण है लगातार प्रयास करना, कर्मशील रहना और सकारात्मक सोच रखना। परिणाम देर- सबेर जरूर मिलेंगे। सफलता नहीं मिलने पर प्रयास में तेज़ी लानी होगी। परिणाम महत्वपूर्ण हैं,लेकिन उसके लिए किए गए `प्रयास` अधिक महत्वपूर्ण हैं। रास्ते में मिल रही हार वह चुनौती है,जिसे यदि पकड़ लिया तो इतने सफल हो जाएँगे कि जानने वाले हैरान रह जाएँगे।
हार होने पर छोड़ देना कमज़ोरी है,लेकिन उसी कमज़ोरी को ताकत बनाकर आगे बढ़ सकते हैं। अमिताभ बच्चन को पहली बार आकाशवाणी ने यह कहकर ठुकराया कि आपकी आवाज बेकार है,आज उसी आवाज ने उन्हें खास इंसान बनाया है। अक्षय कुमार ने बैंकाक में शैफ का काम किया,बर्तन तक मांजे। आज सफलतम इंसान हैं। ऐसे ही धीरूभाई अंबानी,गरीब परिवार से थेl ५०० रूपए महीने की पेट्रोल पम्प पर नौकरी करते थे। यदि वे अमीर बनने का सपना नहीं देखते तो नहीं बन सकते थे। सचिन तेंदुलकर १० वीं अनुत्तीर्ण थे,लंबाई भी कम थीl मेहनत से आज एक महान क्रिकेटर और क्रिकेट के भगवान बन गए हैं।
बल्ब का आविष्कार करने वाले थॉमस अल्वा एडिसन जब २०० बार प्रयोग करने के बाद भी बल्ब नहीं बना पाए तो लोगों ने उनका मजाक उड़ाया,लेकिन एडिसन ने जवाब दिया कि मैं २०० बार असफल नहीं हुआ,बल्कि २०० ऐसे तरीके जानता हूँ जिनसे बल्ब नहीं बनाया जा सकता। यही सोच का अंतर है।
`कोशिश` एक मंत्र है जिंदगियों में बदलाव लाने के लिए। उस कोशिश में `उत्साह` नहीं है,तो सफलता दूरी बनाकर रखेगी।
`पीर सीगर` की रचना का हिंदी अनुवाद दोहराएँ,गुनगुनाएँ, लगातार प्रयास करें,मस्त होकर काम करें,सफलता मिलेगी-
`हम होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब एक दिन
हो हो मन में है विश्वास
पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन`l

#पिंकी परुथी ‘अनामिका’ 
परिचय: पिंकी परुथी ‘अनामिका’ राजस्थान राज्य के शहर बारां में रहती हैं। आपने उज्जैन से इलेक्ट्रिकल में बी.ई.की शिक्षा ली है। ४७ वर्षीय श्रीमति परुथी का जन्म स्थान उज्जैन ही है। गृहिणी हैं और गीत,गज़ल,भक्ति गीत सहित कविता,छंद,बाल कविता आदि लिखती हैं। आपकी रचनाएँ बारां और भोपाल में अक्सर प्रकाशित होती रहती हैं। पिंकी परुथी ने १९९२ में विवाह के बाद दिल्ली में कुछ समय व्याख्याता के रुप में नौकरी भी की है। बचपन से ही कलात्मक रुचियां होने से कला,संगीत, नृत्य,नाटक तथा निबंध लेखन आदि स्पर्धाओं में भाग लेकर पुरस्कृत होती रही हैं। दोनों बच्चों के पढ़ाई के लिए बाहर जाने के बाद सालभर पहले एक मित्र के कहने पर लिखना शुरु किया था,जो जारी है। लगभग 100 से ज्यादा कविताएं लिखी हैं। आपकी रचनाओं में आध्यात्म,ईश्वर भक्ति,नारी शक्ति साहस,धनात्मक-दृष्टिकोण शामिल हैं। कभी-कभी आसपास के वातावरण, किसी की परेशानी,प्रकृति और त्योहारों को भी लेखनी से छूती हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।