बेटी

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बेटी तो बस बेटी है,
बेटी एक तो शक्ति है।
जगत की भी जननी है,
बेटी को कमजोर न समझो।
जब तक बेटी,बेटी है,
लगती सबको छोटी है।
सुन्दर प्यारी बच्ची है,
दिल की बहुत ही सच्ची है।
लक्ष्मी बनकर आती है,
जब बेटी पैदा होती है।
कन्यादान बेटी का करते,
जब शादी उसकी होती है।
तीन जन्म बेटी लेती है,
पहला जन्म माँ की कोख से
दूसरा बहू जब बनती है।
तीसरा जन्म तब होता,
ससुराल में माँ जब बनती है।
खुशियाँ घर में देती है,
दो कुल की मर्यादा रखती है।
बाबुल के घर बेटी रहती,
सास-ससुर घर बहू है बनती।
पति संग ससुराल में रहती,
सब-कुछ अपना अर्पण करती
जब शादी होकर पत्नी बनती।
बेटी तो बस बेटी है,
कहने में बस छोटी है।
सबको खुश वो रखती है,
दो कुल की मर्यादा को
साथ लेकर चलती है।
माता-पिता की बेटी बनकर,
भाई के साथ बहिन बनकर
पति की पत्नी भी बनकर,
ससुराल में बहू भी बनकर
कितने रिश्ते निभाती है।
एक रिश्ता और भी बाकी है,
जब वह भी माँ बन जाती है।
बेटी तो बस बेटी है,
हर रूप का रिश्ता निभाती है।
बेटी का बस रूप बदलता,
बेटी कभी नहीं मरती है।
बेटी तो बस बेटी है,
हर रूप में बेटी रहती है॥

               #अनन्तराम चौबे

परिचय : अनन्तराम चौबे मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहते हैं। इस कविता को इन्होंने अपनी माँ के दुनिया से जाने के दो दिन पहले लिखा था।लेखन के क्षेत्र में आपका नाम सक्रिय और पहचान का मोहताज नहीं है। इनकी रचनाएँ समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं।साथ ही मंचों से भी  कविताएँ पढ़ते हैं।श्री चौबे का साहित्य सफरनामा देखें तो,1952 में जन्मे हैं।बड़ी देवरी कला(सागर, म. प्र.) से रेलवे सुरक्षा बल (जबलपुर) और यहाँ से फरवरी 2012 मे आपने लेखन क्षेत्र में प्रवेश किया है।लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य, कविता, कहानी, उपन्यास के साथ ही बुन्देली कविता-गीत भी लिखे हैं। दैनिक अखबारों-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। काव्य संग्रह ‘मौसम के रंग’ प्रकाशित हो चुका है तो,दो काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। जबलपुर विश्वविद्यालय ने भीआपको सम्मानित किया है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।