
मेरी बातों का
असर दिख रहा है।
मेरा लिखा हुआ
भी बिक रहा है।
अब समझ नही
आ रहा है कि।
किस विषय पर
आगे लिखा जाए।
कोई तो हमे
लिख कर बताये।
चारो तरफ अशांति का,
एक माहौल बना है।।
दुनियाँ में अपनी संस्कृति,
के लिए व्याख्यात भारत।
अपनी सारी संस्कृतियां,
खोता जा रहा है।
और साहित्यकार लोग सिर्फ,
दर्शक बनकर देखे जा रहे है।
और अपनी बर्बादी का,
जश्न मना रहे है।
मानो फिरसे देश को,
निक्षर बना रहे है ।
और इसमें अपनी,
भूमिका निभा रहे है।
और अपने आपको बड़ा,
साहित्यकार कहलवा रहे है।।
मनकी पीड़ा क्या होती है,
उन लोगों से पूछो?
जिन्होंने इससे खून,
पसीने से सींचा था।
और भारतको साहित्य में,
विश्व में स्थापित किया था।
तभी तो साहित्य को,
समाज का दर्पण कहते है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।