Read Time1 Minute, 22 Second
जीवन के तप्त मरू में,
प्रेम सुधा बरसाना।
प्रीतम जब भी हो,
तुम लौट के आना॥
न जीने की है आस,
हरदम रहूँ उदास।
ख्वाबों में तुम ही खास,
तुम लौट के आना॥
करती प्रिये प्रेम निवेदन,
सुन करो सँवेदन।
मन का होता भेदन,
तुम लौट के आना॥
दर्पण तुझे पुकारे,
आजा साँझ सकारे।
मन बिन दाम बिका रे,
तुम लौट के आना॥
क्यूँ न मेरा ध्यान धरो,
सचल मेरे प्राण करो।
जल बिन जैसे जीव मरो,
तुम लौट के आना॥
#सुनीता उपाध्याय `असीम`
परिचय : सुनीता उपाध्याय का साहित्यिक उपनाम-‘असीम’ है। आपकी जन्मतिथि- ७ जुलाई १९६८ तथा जन्म स्थान-आगरा है। वर्तमान में सिकन्दरा(आगरा-उत्तर प्रदेश) में निवास है। शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत)है। लेखन में विधा-गजल, मुक्तक,कविता,दोहे है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय सुनीता उपाध्याय ‘असीम’ की उपलब्धि-हिन्दी भाषा में विशेषज्ञता है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी का प्रसार करना है।
Post Views:
625
Thu Dec 21 , 2017
दुनिया के खिलौने बच्चों हित,बच्चे हम सबके खिलौने हैं, उम्मीद उड़ानें अम्बर तक,दिखने में कितने बौने हैं। जिनकी किलकारी सुनने को,हम कान उटेरे रहते हैं, ईश्वर का अंश झलकता है,यह नीरज नयना कहते हैं। सागर-सा प्यार उमड़ता है,बेऔलादों के भी उर में, सब सुख-सुविधा झूठी लगती हैं,बिन औलादों के घर […]