पिछड़ेपन,भेदभाव की शिकार लड़कियों में शैक्षणिक योग्यता को बढ़ावा देने वाली एक मार्मिक फ़िल्म है ‘ज्योति’ll। हमारे देश में नारी को आदिकाल से पुरुष की बराबरी का दर्ज़ा दिए जाने की वकालत की जाती रही है,लेकिन हमारी कथनी और करनी हमेशा विरोधाभासी रही है। जो कुछ हम कहते हैं,वह हमारे व्यवहार और प्रयासों में कभी नजर नहीं आता है।
आज भी हमारे देश के कई प्रांत ऐसे हैं,जिनमें योग्य बालिकाओं को उनके माता-पिता अच्छी शिक्षा और संस्कांरों के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। यदि लड़कियां खुद कुछ करने या बनने की सोचती भी हैं,तो तमाम तरह की पाबंदियों के साथ उन्हें हाशिए पर धकेल दिया जाता है। इसके बावजूद कुछ लड़कियां हर युग में इतिहास बदलने के इरादे से माता-पिता के दमनात्मक रवैए और परंपराओं से लड़ने के इरादे से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की तरह मैदान में कूद पड़ती हैं। इसी तरह की लड़कियों की प्रबल इच्छा और मन में रची-बसी अटूट प्यास लाख प्रतिरोधों के बावजूद उन्हें उस मुकाम तक पंहुचा ही देती है,जहां वह पंहुचना चाहती हैं और जिसकी वह हकदार भी हैं।
इसी तरह की राजस्थान के एक छोटे से गांव की रहने वाली लड़की ज्योति की सच्ची दास्तान पर आधारित है फिल्म ‘ज्योति’। ज्योति एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो अपने माता-पिता के साथ राजस्थान के एक बेहद पिछड़े गांव में रहती है। वह अपने माता-पिता की इकलौती और बेहद लाड़ली संतान है। पिता गांव के जमींदार के खेतों पर मजदूरी करते हैं और मां उसी परिवार के बर्तन और झाड़ू बुहारने का काम करती है। इस तरह वे अपने छोटे से परिवार की गुजर-बसर करते हैं।ज्योति इस सबसे अलग अपनी हदों को जानते हुए पढ़-लिखकर समाज में एक अलग मुकाम हासिल करना चाहती है,लेकिन माता-पिता के रुढ़िवादी होने की वजह से अंदर-ही-अंदर छटपटा रही है। फिर भी वह मौके की तलाश में है।
दिल्ली में रहने वाली ज्योति की मौसी की अचानक तबियत बिगड़ जाती है,ऐसे में ज्योति को उनकी देखभाल के लिए वहां भेज दिया जाता है। मौसी की सेवा के साथ-साथ दिल्ली में रहकर वह मोबाइल सुधारने का काम सीखकर टेक्नीशियन बन जाती है। जब लौटकर ज्योति गांव आती है,तब उसकी योग्यता की ऐसी रोशनी फैलती है कि,कभी बेटे की कमी से दुखी रहने वाले उसके मां-बाप खुद को गौरवान्वित महसूस करने लगते हैं।
‘ज्योति’ फिल्म का निर्माण छोटे पर्दे की जानी-मानी अभिनेत्री रोशनी टाक ने किया है। अभिनेत्री के तौर पर रोशनी ने ‘तारकनाथ का उल्टा चश्मा’,’चिड़ियाघर’, ‘क्राइम पेट्रोल’ तथा ‘ज़िन्दगी एक भँवर’ जैसे धारावाहिकों में प्रभावी भूमिकाएं अदा की हैं। हाल ही में रोशनी टाक ने नवाजुदीन सिद्दीकी और काजोल की बहन तनिष्का के साथ ‘देख इंडियन सर्कस’ और ‘सांवरिया सेठ’ (राजस्थानी)फिल्मों में भी काम किया है।
रोशनी टाक ने ‘ज्यो’ति’ में शीर्षक भूमिका खुद निभाई है तो फिल्म के अन्य कलाकारों में अशोक व्यास,अनिता माहेश्वरी,उर्मि भंडारी,मंजू सोनी,श्याम यादव और माहेश्वरनजर आएंगे। फिल्म की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है और जल्द ही फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन कार्य शुरू हो जाएगा।
#सुभाष शिरढोनकर