जड़ का अस्तित्व

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rekha dube

आज सीताराम चौकसे(सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर) की वृद्धाश्रम में मृत्यु हो गई थी। पूरा आश्रम शोकाकुल था,रिया फूट-फूटकर रोए जा रही थीl इसका दादाजी से कोई खून का रिश्ता नहीं था, सिर्फ एक संवेदना थी जो उसे इन बुजुर्गों के पास रोज खींच लाती थी,पर आज वह ऐसे रो रही थी जैसे उसी के दादा नहीं रहे होंl वह रो-रोकर कहे जा रही थी-`दादाजी अब में यहां आकर किससे बातें करुँगीl`
उसे सांत्वना देते हुए सुयश वृद्धाश्रम के मालिक को ख्याल आया कि,दादाजी के घरवालों को तो खबर कर देंl उन्होंने तुरंत सीताराम जी की नातिन को फोन लगायाl फोन की घंटी बजते ही दूसरी तरफ से आवाज आई-कौन? सुयश ने कहा-मैं वृद्धाश्रम से सुयश बोल रहा हूँl आपके दादा जी नहीं रहे,आपके पिताजी को मैंने इसलिए फोन नहीं किया,क्योंकि वह उन्हें बहुत ही गंभीर स्थिति में होटल में छोड़कर चले गए थे। आप उन्हें भी बता देंl दूसरी ओऱ से आवाज आई-अरे! वैसे भी हमारा आना संभव नहीं हैl मेरे बेटे का जन्मदिन है,औऱ फिर यह हुआ कैसे? सुनकर सुयश कुछ व्यंग्यात्मक लहजे में बोल ही उठा-यह आप हमसे बेहतर समझ सकतीं हैं।
यह सुन बात को बदलते हुए सीताराम जी की नातिन कहने लगी -आप दादाजी का डेथ सर्टिफिकेट भिजवा दीजिए,क्योंकि उनकी करोड़ों की प्रॉपर्टी हैl बिना सर्टिफिकेट के अपने नाम ट्रांसफर कराने में हमें दिक्कत आएगीl सुयश रुखाई से बोला-ठीक है,डेथ सर्टिफिकेट आपको मिल जाएगा और फोन काट दियाl जैसे ही उसने फोन रखा,उसके दिमाग में उपजे क्रोध और घृणा ने तुरंत एक निर्णय लिया औऱ एक पत्रकारवार्ता बुलाकर सभी को विषय स्थिति से अवगत कराते हुए प्रश्न किया-क्या ऐसे बच्चों को जो आपने खून के रिश्तों का लिहाज किए बिना अपने बुजुर्गों को (अपने घर की जड़ को)ही अपने घर से निकालकर फेंक देते हैं,तो क्या उन्हें मात्र उनका वारिस होने के नाते उन बुजुर्गों की संपत्ति प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है? आखिर उन बच्चों को डेथ सर्टिफिकेट देना उपयुक्त या न्यायसंगत होगा? `जब जड़ों को पानी नहीं दिया तो,फलों को बटोरने के उनके बच्चे जायज अधिकारी कैसे हो सकते हैं???`

                                                              #रेखा दुबे
परिचय:रेखा दुबे की जन्मतिथि-१८ नवम्बर १९६५ और जन्म स्थान-ग्वालियर (राज्य-मध्यप्रदेश)हैl वर्तमान में निवास स्थान-विदिशा(म.प्र.)हैl शिक्षा में आप स्नातक होकर लेखन तथा समाजसेवा को कार्यक्षेत्र बना रखा हैl लेखन में  कविता,गीत,हाइकू,मुक्तक,कहानी,चतुष्पदी,लघुकथा और आलेख लिखती हैंl प्रकाशन में आपके नाम ४ साझा संकलन और कनाडा से प्रकाशित 66 लेखकों द्वारा रचित उपन्यास `खट्टे-मीठे रिश्ते` की सहभागी होना भी हैl आपकी रचनाएं दिल्ली सहित अन्य राज्यों के पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैंl फिलहाल काव्य संग्रह तथा कहानी संग्रह प्रकाशन की प्रक्रिया में हैl कनाडा से आपको `वरिष्ठ लेखक सम्मान`,रचना सहभागिता सम्मान और सारस्वत सम्मान के अलावा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर `वुमन ऑफ द ईयर`,वर्तिका सृजन सम्मान,पाथेय अलंकरण सम्मान,नारी गौरव सम्मान,श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान के साथ ही मुक्तक सम्राट सम्मान भी मिला हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक विसंगतियों को उजागर करते हुए सभी को जीवन की सच्चाइयों से अवगत कराना एवं भावनात्मक-प्रेरणादायक लेखन में रुचि जगाना हैl 

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।