टंगी है दीवाल पर, तस्वीर दादा पर दादा की धूल-मिट्टी उस पर कर रही राज, चला रही शासन। जाले मकड़ी के इर्द-गिर्द, जैसे दबा रहे उसे चंगुल में, खामोश निशब्द तस्वीर सह रही, जुल्म नए-पुराने यूं ही हँसते,मुस्कुराते, पर हम नहीं देख पा रहे बुजुर्गों को तस्वीर की गहनशीलता कोll […]