मानवता का उदघोष

0 0
Read Time2 Minute, 31 Second

pushpa sharma

विश्व धरातल पर तुम,
मानवता का उदघोष कर दो।
सृजन के संसार में तुम,
अमिय की रस धार भर दो।

संसार सृष्टिकर्ता का,
स्वप्न है साकार,
गिरि भूमि सागर वन-उपवन रचे विविध
आकार।
चर अचर बहुजाति जीव,
सबमें सुन्दर तम मानव है
विकसित बुद्धि विवेकशील
कर्म पथ का साधक है।
कर्मभूमि यह विश्व उसकी,
उर में सुन्दरतम भाव भरदो॥

अद्भुत देवत्व का उसमें,
हुआ चरम विकास।
नित नए अनुसंधान कर,
छूने लगा आकाश।
किंतु उसकी बुद्धि को
जब रज तम ने आ घेरा,
भटका अपने श्रेय से
दानवता ने डाला डेरा।
उसके भ्रमित तममय हृदय में,
ज्ञान का प्रकाश भर दो॥

सृजनधर्मी मनुज की,
यह करारी हार है।
विध्वंस की भयावह राह में,
जीवन केवल भार है।
चल पड़ा इस राह पर
परिणाम की सोचे बिना,
उठी अन्तःप्रेरणा को
कर दिया था अनसुना।
राह से भटके हुए को
राजपथ सीधा दिखा दो,
जगे सुप्त विवेक समझे
स्थिति की विकरालता
हो सोच जनहित की सदा
विश्वजन की कुशलता
मानव से मानव जुड़ जाए,
वीणा में यह राग भर दो॥
विश्व धरातल के ऊपर,
मानवता का उदघोष कर दो।
सृजन के संसार में
अमिय की रसधार भर दो॥

                                                        #पुष्पा शर्मा 
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।
 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

पिता

Tue Oct 3 , 2017
चिंता  बनी   चिता  हूँ मैं। हाँ,  एक   पिता  हूँ  मैं॥ तन्हा-तन्हा   चलता  हूँ, सूरज  जैसा   ढलता  हूँ। बिन   पानी  पौधे  जैसा, आँसू   जैसा  पलता  हूँ॥ कभी-कभी ऐसा लगता, इक अधूरी खता  हूँ मैं। हाँ, एक पिता….॥ अपनी सोच में खोया हूँ, हँसते-हँसते   रोया […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।