जीवन में भर दे संस्कार,वही तो शिक्षक है,
अंधेरे में कर दे उजियार वही तो शिक्षक हैl
माटी को दे जो आकार,वही तो शिक्षक है,
जो नित नए गढ़े किरदार वही तो शिक्षक हैl
नदी-सा बहना,पेड़ों जैसा झुकना सिखाए,
जो भाव भरे परोपकार वही तो शिक्षक हैl
फूलों-सा महकता हो,भौंरे-सा हो गुणगान,
जिंदगी में भर दे प्यार वही तो शिक्षक हैl
नए समाज का गठन करे,राह हो आसान,
बच्चों को जिनकी दरकार वही तो शिक्षक हैl
परिचय : दिनेश मालवीय, मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में रहते हैं।आपका लेखन में उपनाम-भोपाली है। कर्म क्षेत्र शिक्षा विभाग यानि बतौर सहायक अध्यापक बच्चों का भविष्य गढ़ते हैं। आप संस्कृत भाषा से स्नातक होकर लेखन,पहलवानी और शतरंज को पसंद करते हैं।