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वो कहते हैं कि औरत
कभी हो नहीं सकती बच्ची,
अरे वो तो महज एक
जमीन है कच्ची।
जिस पे जो चाहे,जब चाहे
जोते हल,और चुक जाए तो दे दे अन्य किसी मेहनतकश को लीज पर,
या उगाता जाए फसल पर फसल
वो साठ की उम्र में भी पुरुष,
तू छः की नन्हीं-सी उम्र में भी औरत
तू नहा-धोकर भी रस्ते की ख़ाक,नापाक
वो तेरे जिस्म से वजु कर भी कहलाता है पाक।
वो पढ़ेगा अपने फायदे के लिए आयतें,
मगर तुझको ता-उम्र करनी है
इस जल्लाद की इबादतें,
उसके लिए बख्शी जाएंगी बहत्तर हूर
छीन लिए जाएंगे तुझसे
तमाम सपने,हसरतें और नूर
वो ढांक देगा तेरी पहचान स्याह हिजाब के पीछे,
छुपाएगा वहशियत अपनी
एक किताब के नीचे।
कर तुझे हलाला कभी सुनाकर तलाक,
भोगेंगे हर तरह से जिस्म तेरा
अल्लाह के ये बन्दे चालाक,
बहुत हुआ आयशा तू बढ़ आगे
रौंद डाल इस गुनहगार मरद जात को,
थाम ले हाथ में कलम और किताब को
छोड़ इन झूठे सभी रस्म-ओ रिवाज को,
ख़ौफ़ज़दा करती जेहादी आवाज को
देख वो आफताब जो तेरा भी है
तेरी है शब, तेरा सवेरा भी है।
नहीं गर्दिश, सितारे सारे आसमान हैं,
जीती जागती हाँ,तू भी इंसान है
तुझसे ही जहां यह ,तू ही जहान है,
तेरी भी एक अलग,खुद की पहचान है।
तू बेजान नहीं आयशा नहीं,
नहीं-नहीं,धड़कता है एक दिल
तुझमें भी,
बसती तुझमें भी जान है॥
#सपना मांगलिक
परिचय : भरतपुर में १९८१ में जन्मीं सपना मांगलिक की शिक्षा–एमए और बीएड(डिप्लोमा एक्सपोर्ट मैनेजमेंट) हैl आगरा के कमला नगर (उत्तरप्रदेश) में आपका निवास हैl आप समाजसेवा के लिए अपनी ही समिति संचालित करती हैंl साथ ही साहित्य एवं पत्रकारिता को समर्पित संस्था भी चलाती हैंl आजीवन सदस्य के रूप में ऑर्थर गिल्ड ऑफ़ इंडिया,इंटरनेशनल वैश्य फेडरेशन तथा आगरा में अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैंl आपकी प्रकाशित कृतियों में-पापा कब आओगे,नौकी बहू(कहानी संग्रह),सफलता रास्तों से मंजिल तक,ढाई आखर प्रेम का (प्रेरक गद्य संग्रह),कमसिन बाला और जज्बा–ए–दिल(काव्य संग्रह) सहित हाइकु संग्रह भी हैl आपने संपादन भी किया हैl आपको सम्मान के तौर पर आगमन साहित्य परिषद् द्वारा दुष्यंत सम्मान,काव्य मंजूषा सम्मान,ज्ञानोदय साहित्य भूषण-२०१४ सम्मान,गंगा गौमुखी एवं गंगा ज्ञानेश्वरी साहित्य गौरव सम्मान और विर्मो देवी सम्मान आदि भी दिया गया हैl आप लेखन में लगातार सक्रिय हैंl
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