राम रहीम न कहो

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rajnish dube
आज चल गया पता ये मुझको जनसंख्या वृद्धि बेकारी है,
देश की फूहड़ आधी `जनता` ढोंगियों के चक्कर में नाकारी हैl
`भीड़` बनी है मूरख जनता अंधकार की नगरी में,
मूढ़ दोचकर `खलबट्टों` में व्यर्थालाप की घघरी मेंl

रामपाल हो,हो आसाराम या राम रहीम के गुर्गे हों,
या कह लो ये भारत भूमि पर चलते-फिरते मुर्दे होंl

जो नासमझी में जान लुटाकर दुष्कर्मों की ढालें बनते हैं,
धरमांचल को गंदा करने वालों की कोठरियों के ताले बनते हैंl
क्या दुश्मन की जरुरत हमको जब इनकी हाजिरी लगाना है,
क्या अपनों से खैरियत हमको,जब इन अंधों की ठठरी बनाना हैl

है दुनिया भर की चोंचलेबाजी जिसमें ये मूरख बन जाते हैं,
मजबूरी को भांप मिले कलाकंद को प्रसाद समझकर खाते हैंl
ऐसे प्रपंची हत्यारों को दर-दर पर कोड़े पड़ने दो,
ऐसे छिपे दुष्कर्मियों को घर-घर से कालिख पुतने दोl

राधे माँ हो या निर्मल बाबा,ये सब कीर्तन धंधों के पुजारी हैं,
वो आसाराम हो या रामपाल,ये चीन से ज्यादा खुद के विस्तारी हैंl

राम रहीम न कहो इसको,गुंडागर्दी का कीड़ा है,
कलियुग में पलती बेजानों की चलती-फिरती पीड़ा हैl

ये सब ढोंगी विस्तारक हम सबके ईश्वर बनना चाहते हैं,
ये सब बेहरुपिए पालक झूठ के,शासक बनना चाहते हैंl

इन गद्दारों को देश के,तड़प-तड़पकर मरना है,
जितने उड़ते थे आसमान में,उतने ही नीचे गिरना हैl

मेरा बस चलता तो इन नीचों को दलदल में फिंकवा देता,
या फिर जहां की पैदाईश है,उसी पाकिस्तान में फिंकवा देताl

चल `रजनीश` तेरी कलम से इन पर पैने वार करें,
न पहुंच सके इन तक तो क्या,इनके समर्थकों पे प्रतिकार करेंll

                                                                          #रजनीश दुबे’धरतीपुत्र'
परिचय : रजनीश दुबे’धरतीपुत्र' की जन्म तिथि १९ नवम्बर १९९० हैl आपका नौकरी का कार्यस्थल बुधनी स्थित श्री औरोबिन्दो पब्लिक स्कूल इकाई वर्धमान टैक्सटाइल हैl  ज्वलंत मुद्दों पर काव्य एवं कथा लेखन में आप कि रुचि है,इसलिए स्वभाव क्रांतिकारी हैl मध्यप्रदेश के  के नर्मदापुरम् संभाग के  होशंगाबाद जिले के सरस्वती नगर रसूलिया में रहने वाले श्री दुबे का  यही उद्देश्य है कि,जब तक जीवन है,तब तक अखंड भारत देश की स्थापना हेतु सक्रिय रहकर लोगों का योगदान और बढ़ाया जाए l  

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।