कभी-कभी ऐसा भी

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bagga
कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है,
पंछी आशियाने से जुदा हो जाता है।
वो बचपन,जब खेले थे साथ-साथ,
लड़ना भी शामिल था अक्सर जिसमें…
वो बचपन भी कहीं खो जाता है।
ऐसा भी होता है अक्सर कि,
माँ का कलेजा,माँ से जुदा हो जाता है।
बेटी होती है बड़ी तो…
घरवालों से पहले,
बाहर वालों को पता चल जाता है।
                                    #नीलू बग्गा
लेखक परिचय : लुधियाना निवासी नीलू बग्गा लेखक और शायरा के रुप में लेखन के क्षेत्र में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। जिस छोटी उम्र में बच्चे खेलते हैं ,उस उम्र से ही ये गीत लिखती रही हैं। 1978 में जालंधर के ब्यास पिंड में  जन्मी नीलू बग्गा लुधियाना में पली हैं और बचपन से ही लिखने का शौक रखती हैं। डायरी भी लिखा करती थी। वर्तमान में कई साहित्यिक संस्थाओं से लेखक के तौर पर जुड़ी हुई हैं।

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One thought on “कभी-कभी ऐसा भी

  1. चल फिर एक मुकमल किताब लिख डाले…
    जिस में तेरी रुसवाइयों से लेकर…
    तेरे हर तिषणों का जिक्र हो …
    और तूँ मेरे बाद जब जब उसे पढ़ें …
    मेरी उस मुहोब्बत को याद करे …
    जिसे मैने बिना किसी इवज में तुम से किया…
    Neelu Bagga

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