मायूस हो कर अकेले में रोता हूँ,
आती है राखी,तब किस्मत को कोसता हूँ।
देखता हूँ हर कलाई में प्यार बहना का,
अपनी सूनी कलाई को तसल्ली देता हूँ।
दिल में तूफान-सा उठता है देख राखी को,
निकलता हूँ सोचकर घर से अपने।
जिसका कोई भाई नहीं,ऐसी भी बहन होगी,
उसी को दुख अपना बताऊंगा,राखी उसी से बंधवाऊँगा॥
#प्रमोद बाफना
परिचय : प्रमोद कुमार बाफना दुधालिया(झालावाड़ ,राजस्थान) में रहते हैं।आपकी रुचि कविता लेखन में है। वर्तमान में श्री महावीर जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय(बड़ौद) में हिन्दी अध्यापन का कार्य करते हैं। हाल ही में आपने कविता लेखन प्रारंभ किया है।
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