परिचय : मुकेश बोहरा ‘अमन’ अधिकतर बाल रचनाएँ रचते हैं। आप पेशे से अध्यापक होकर बाड़मेर (राजस्थान) में बसे हुए हैं।
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आओ,आओ कर लें आज,
मनड़े री बात सखी।
गाओ,गाओ कुरजे आज,
हिवड़े रे साथ सखी॥
मोर बोले पीहूं-पीहूं,
उठे रे हिलोर।
पपीहे री बोली खारी,
घूरे रे चकोर॥
पीव-पीव करे रे आवाज,
नभ काली रात सखी।
आओ,आओ कर लें आज,
मनड़े री बात सखी॥
पीव का घर अपना अब,
अपना घर सपना।
बाबुल थारी चिड़कली अब,
रूक‘ना ,अब उड़ना॥
बाबुल का घर तजना है आज,
सुन ले ये बात सखी।
आओ,आओ कर लें आज ,
मनड़े री बात सखी॥
#मुकेश बोहरा ‘अमन’
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One thought on “मनड़े री बात”
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पानी पानी रे…खारे पानी रे…
बहुत सुन्दर रचना,,!!! मैने आपकी बाल रचनाएं भी पढ़ी हैं,,एक मंच पर बेहद रोचक होती हैं!!