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आज पिताश्री का दिन है,
तीन सौ पैंसठ दिन में
एक बार आता है
किन्तु जो पिता हैं
उसे कहां याद रहता है।
वह तो अपने परिवार की
जिम्मेदारियों में ही
सालभर खोया रहता है,
शायद उसे कोई
याद दिला दे
एक छोटा-सा कोई
उपहार दे
झूठ-मूठ का।
आप चिंता न करें,
पापा मैं बड़ा होकर
आपके सपनों को
साकार करूंगा,मैं
इस दुनिया से
नहीं डरूंगा,मैं
परिवार का
सहारा बनूंगा,मैं
आपकी ही तरह
जीवन के संघर्षों से
हरदम लडूंगा।
मैं आज आपका पुत्र हूँ
कल मैं भी तो
पिता बनूंगा।
#आर.डी.वैरागी
परिचय : रमेशदास पिता तुलसीदास का जन्म ग्राम कल्याणपुरा जिला झाबुआ (म.प्र.) के छोटे से कस्बे में हुआ है। आप लेखक
के रुप में ‘उधार’ नाम से जाने जाते हैं। काफी लम्बे समय तक सरकारी कर्मचारी होने की वजह से उनकी रचनाओं में सरकार से जुड़े कामकाज और राजनीति पर काफी कुछ व्यंग्य पढ़ने को मिलते हैं, जिससे पाठक सोचने पर मजबूर होता है। इन्होंने अपनी रचनाओं में जीवन से जुड़े लगभग सभी तथ्यों पर विचारों को बेधड़क लिखा है।
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Tue Jun 20 , 2017
चलो मनाएं पितृ दिवस आज, आपने हमें बचपन से सिखाया आपने हमें खुश रखना ठाना, दुनिया की राह में चलना सिखाया। बूढ़े-बच्चों से व्यवहार करना सिखाया, आपके बिना रहा नहीं जाता.. दूर छोड़कर जाया नहीं जाता, पिता, पिता होता है, बेटा छोटा हो या बड़ा, हमेशा उसके साथ होता है। […]