हे माँ शारदे, हमें ऐसा वर दे ज्ञान के चक्षु खोल दे, तम छाया है अज्ञान की अंधेरी नगरी की यहाँ, चारों तरफ माया है, यहाँ ज्ञान के मंदिर बहुत बने पड़े हैं, यहाँ रोज द्वार भी खुलते हैं, गुरु और शिष्य भी यहाँ रोज मिलते हैं, लेकिन यहाँ पहले […]

जीवन एक संग्राम है, जीना इसका नाम है। आती-जाती सांस, जीवन का विश्वास है। सुख-दुख की परछाई, इस जीवन की गहराई। इसका विश्राम है, जीवन एक रण है। जीना क्षण-क्षण है, जीवन मृत्यु का, अंतिम भक्षण है। यह जीवन का, अंतिम लक्षण है॥ फिर क्यों कर, विश्वास झुठलाता है। फिर […]

मौसम है, सावन की बहारों का मौसम है, नदी के किनारों का मौसम है, दिल में धड़कते मोहब्बत के अंगारों का। काली घटाओं का अंबार है, बदली और बादल का बरसने का इंतजार है, दो दिलों के मिलने का इजहार है, कह दो न सावन की बहारों से मुझे तुमसे […]

आज पिताश्री का दिन है, तीन सौ पैंसठ दिन में एक बार आता है किन्तु जो पिता हैं उसे कहां याद रहता है। वह तो अपने परिवार की जिम्मेदारियों में ही सालभर खोया रहता है, शायद उसे कोई याद दिला दे एक छोटा-सा कोई उपहार दे झूठ-मूठ का। आप चिंता […]

क्या तेरी फितरत में जलना और जलाना है, क्या तेरे दिल में आग में जलना और आग लगाना है। क्या तेरे उसूलों में नफरत रखना औऱ नफरत करना है तू क्यों इंसान होकर शैतान बनकर बैठा है। क्या तेरा दिल पत्थर-सा है, ऐसा लगता नहीं कहीं किसी कौने में जरूर […]

बाहर भी दिखा था, भीतर भी दिखा था लफ्ज़ कुछ शातिर थे लफ्ज़ कुछ कातिल थे शब्द कुछ दोस्त थे शब्द कुछ दुश्मन थे दिल में समेटे हुए लफ्ज़ सभी मौन थे। एक सैलाब आया, आंधी की तरह और लफ्जों के बांध को तोड़ दिया,वहां लेखनी खड़ी थी और आपने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।