लौट आए श्मशान से

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जब कभी जाता हूँ श्मसान,
दिखते हैं दिन में कुछ अपने।

कुछ बहुत ख़ास से लोग,
कुछ प्यारे नाते-रिश्तेदार,
कुछ मेरे पुराने दोस्त-यार,
पर नज़र आता नहीं वर्तमान।

चिता से उठती हुई लौ-लपटें,
चिता में डलता हुआ घी-कपूर,
और चंदन की लकड़ी के टुकड़े,
सब बताते हैं अनेकता में एकता।

उठता हुआ धुआँ छा जाता है,
कोहरा बनकर मन मस्तिष्क पर,
और इकट्ठा कर देता है यादों की धुँध,
फिर अकेले जूझता हूँ उन यादों से।

कुरेदती हैं वे यादें कल को,
आज और आने वाले कल को,
झकजोर देती हैं अन्तस् को,
और आलिंगन होता है वर्तमान से।

क्योंकि श्मसान में वैराग्य नहीं होता,
देवताओं का स्तुतिगान होता है,
उत्सव होता है मृत्यु का,
जाने वाला ले जाता है अपने साथ
बिता हुआ कल, आज और कल।

इसलिए श्मसान पुण्य भूमि है।
मनुष्य को करवाते हैं मनुष्यता बोध,
और आलिंगन जीवन के स्थायी सुख से।

प्रभुमिलन स्थल से लौटना ,
होता है बेहद कठिन, दुरूह,
इसीलिए श्मशान ज़िंदाबाद थे,
ज़िंदाबाद हैं और रहेंगे सदा
ज़िंदाबाद।

#डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

इन्दौर, मध्यप्रदेश

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।