आलेख – कोऊ नृप होय…..

0 0
Read Time3 Minute, 21 Second

सत्ता का सुख वे लोग भोगते हैं जो बेशर्म झूठे और मक्कार होते हैं। शालीनता और कायरता में फर्क होता है। सही को सही कहने की हिम्मत जिसमें नहीं है उसको दूसरों के अधीन ही रहना पड़ता है। जो गलत होते देखकर भी आवाज नहीं उठाते उनका भगवान ही मालिक है । किसी भी धर्म जाति या भाषा भाषी परिवार हो ,समाज हो, सामाजिक संस्था हो या कोई कला, संस्कृति , साहित्य या समाज सेवा प्रकोष्ठ या समूह हो, हर जगह संचालक मंडल बनाए जाते हैं। संरक्षक ,अध्यक्ष सचिव और संचालक मण्डल में दबंग सदस्यों को पद देकर जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं।
किसी सदस्य से कुछ पूछा नहीं जाता वे सब एक दूसरे का मुंह देखते हैं और थोपे गए पदों पर सहमति जताते हुए खुद को उदार,बेचारे और शरीफ जताने में लगे रहते हैं । तालियां बजाना, शीश हिलाना जैसे कर्तव्य ये लोग अच्छे से निभाते हैं। इसके अलावा ये कुछ और भी कर सकते हैं ,इस बात पर इन्हे खुद भी भरोसा नहीं होता।ये उस प्रजाति के लोग होते हैं जो जरूरी बैठकों में उबासियां लेते हुए बार -बार घड़ी देखते हैं। उकता कर कभी नींद की झपकियां भी ले लेते हैं । तालियों के शोर से जब इनका सपना टूटता है तब हकबका कर इनके हाथ भी तालियां बजाने वालों में शामिल हो जाते हैं। देश ,समाज ,संस्था, समूह, समितियां और विविध विषयों के मण्डल यानि कि पूरा देश इसी फार्मूले पर चलता है।कहते हैं, देश सुरक्षित है। जिम्मेदार अपना काम बखूबी कर ही रहे हैं‌।अब आम आदमी की बेफिक्री के लिए इतना सब काफी है।
” जागते रहो “की आवाज अनसुनी करते हुए समय भीअपनी गति से भाग रहा है।
भले ही सारे वातावरण में जहर घुलता जा रहा है। सारी व्यवस्थाएं अनैतिकता और स्वार्थ से बजबजाने लग गई हैं।मगर
” कोऊ नृप होहुं हमें का हानि ” का मंत्र जपने वाले लोग इतने दब्बू हैं कि सही को सही और गलत को गलत भी नहीं कह पाते ।ऐसे लोग ही हमेशा दूसरों की छड़ी से संचालित होते हैं। न्याय अन्याय की बात मत करिए क्योंकि अन्याय उन्हीं पर होता है जो चुपचाप सहन करते हैं।जो विरोध करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते ऐसे लोगों पर ही अत्याचारी का जोर चलता है। विकास यात्रा अलग-अलग मोर्चे पर जारी रहती है और तालियां बजाने वाले गोल गोल घूमते हुए विकास का जश्न मनाकर समझदार नागरिक होने का प्रमाण पत्र सहेजते रहते हैं।

डॉ. पद्मा सिंह

इन्दौर, मध्यप्रदेश

matruadmin

Next Post

कवि गौरव साक्षी का लाइव पोएट्री शो 8 जून को

Fri Jun 7 , 2024
आनंद मोहन माथुर ऑडिटोरियम में देंगे लाइव प्रस्तुति इंदौर। युवा हिन्दी कवि व गीतकार गौरव साक्षी का लाइव पोएट्री शो ‘वो तेरे प्यार की निशानी है’ 8 जून को इंदौर में होने जा रहा है। सनडाउन लाइव की ओर से आयोजित किए जा रहे इस कार्यक्रम का आयोजन विजय नगर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।