त्रासदी

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सुवर्ण कानन में फलित
प्राणों की स्वप्न मंजरी

     शाख से तिक्त विरक्त
     पर्ण किसलय और पंखुड़ी 

     रुदाल तारागण रुग्ण सूर्य
     धरा प्रतीत जैसे ‌यमपिंड 

     जीवन छिन्न प्राण दुर्लभ 
     काल प्रखर और प्रचंड

   घोर तम सर्वत्र व्याप्त  
   मृत्यु तुल्य अभी त्रासदी  

   तमस दिवा पूर्ण कालरात्रि 
   कलुषित समय सम शताब्दी

   अष्ट दिशा मचा हाहाकार 
    भग्न हृदय स्पंद शेष

    प्रत्येक प्रतीक्षारत प्राण 
    उद्धारक एक‌ याचना अशेष

     ज्ञान -विज्ञान अपोह-पोह
     नियम -अनियम सर्व मध्य

   नतमस्तक उन्म्मिलित नेत्र
   समर्पित भाव  अंजलि बद्ध

#डॉ सीमा भट्टाचार्य

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
#परिचय-
दिल्ली पब्लिक स्कूल बिलासपुर छत्तीसगढ़ में संस्कृत विभाग में अध्यक्षा पोस्ट में कार्यरत।

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