कुछ कदमों का साथ

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पुस्तक समीक्षा

लेखक– श्री अनिल कुमार यादव (कविता संग्रह)
प्रकाशक – बोधि प्रकाशन, सी-46
सुदर्शनपुरा इंडस्ट्रियल एरिया एक्सटेंशन
नाला रोड, 22 गोदाम, जयपुर – 302006
पृष्ठ – 120
मूल्य – एक सौ पच्चास रुपये

अपनी पत्नी नीलम को समर्पित ‘कुछ कदमों का साथ’ कविता संग्रह की कविताएँ कवि के अनुभवों की आँच में शब्दों को तपाकर कुंदन बनाने का प्रयास, उम्र के तजुर्बे और आसपास घटित घटनाओं को आधार बनाकर लिखी गई प्रतीत होती है | ये कविताएँ जहाँ एक ओर वर्तमान समाज और संमय को इंगित करती हैं तो वहीँ दूसरी ओर समाज के कई कड़वे पहलुओं को उजागर करते हुए समाज को आईना भी दिखाती हैं | मार्मिक एवं भावनात्मक धरातल पर लिखी गई ये कविताएँ आम आदमी को सोचने पर मजबूर करती है, वहीँ उन्हें उम्मीद का दामन पकड़े रहने को भी प्रोत्साहित करती है |
82 कविताओं का ये संग्रह अनूठा इसलिए लगा क्योंकि इसमें कवि नें समाज में निरंतर बढ़ती जा रही टूटन, अहम्, अकेलापन, अजनबीपन आदि कई विसंगतियों पर गहरी कसक के रंगो को बिखेरा है \ ज्यादातर कविताओं में आँसू भी मुस्कान लिए हैं और सुख नें दुःख का हाथ थामा हुआ है \
समाज में घटित घटनाओं को मूल में समाए होने के कारण यह कविता संग्रह समाज को दिशा दिखाने का कार्य भी करता है | पाठक कविताओं को तभी पढता है जब वे प्रासंगिक हों, सत्य आधारित हो, जिनसे सीख मिले तथा वे समाज के हर तबके को सोचने पर विवश कर दे और मेरा ऐसा मानना है कि ‘कुछ कदमों का साथ’ कविता संग्रह में इन सब बातों का समावेश है |
पुस्तक का मुख्य पृष्ठ आकर्षक है | मेरी राय में यह पुस्तक हर पाठक की भावनात्मक संवेदनाओं को छूते हुए हर पुस्तकालय का गौरब बढ़ाए | केवल एक बार ही सही हर वर्ग बालक, युवा, बुज़ुर्ग सभी को इस पुस्तक का पठन अवश्य करना चाहिए |

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