0
0
Read Time39 Second
जमीं ये आसमान बाकी है
हौसलों की उड़ान बाकी है
जिंदगी कितना तड़पायेगी
मेरे लबों पे मुस्कान बाकी है
सुनो ना जिंदादिली के किस्से
अभी तो पूरी दास्तान बाकी है
कौन डरता है मुसीबतों से यहां
सोचों कि,अभी सुलतान बाकी है
माना कि ज़ख्म नासूर हैं मगर
अभी भी मुझमें जान बाकी है
नाम बनाने की कवायद जारी
बस थोड़ी सी पहचान बाकी है
#किशोर छिपेश्वर”सागर”
भटेरा चौकी बालाघाट
Post Views:
232