
भक्ति में करता प्रभु की,
साँझ और सबेरे।
चरण पखारू तेरे
साँझ और सबरे।
चरण पखारू तेरे
साँझ और सबरे।
तेरे करुणा भरे दो नैन
मेरे दिलको दे रहे चैन।
तेरे करुणा भरे दो नैन…।
क्या ज्ञान क्या अज्ञानी जन,
आते है निश दिन मंदिर में।
एक समान दृष्टि तेरी
पड़ती है उन सब पर।
पड़ती है दृष्टि तेरे उन सब पर।
तेरे करुणा भरे दो नैन
मेरे दिलको दे रहे चैन।
तेरी करुणा भरे दो नैन
मेरे दिलको दे रहे चैन।।
त्याग तपस्या की
ऐसे सूरत हो।
चलते फिरते
तुम भगवान हो।
दर्शन जिसको
मिल जाये बस।
जीवन उनका धन्य होता।
जीवन उनका धन्य होता।
तेरा जिसको मिले आशीर्वाद।
उसका जीवन हो जाये कामयाब।
तेरा जिसको मिले आशीर्वाद।
उसका जीवन हो जाये कामयाब।।
भक्ति में करता
विद्यासागर जी की।
चरण पखारू उनके
साँझ सबरे।
चरण पखारू उनके
साँझ सबरे।
तेरी करुणा भरे दो नैन,
मेरे दिलको दे रहे चैन।
तेरे करुणा भरे दो नैन
मेरे आत्मा को दे रहे चैन।।
आचार्यश्री के चरणों में यह भजन समर्पित है।।
जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन, मुम्बई